Tuesday 18 February 2014

बीरबल ने अकबर खाकर लेट जा और मारकर भाग जा

किसी समय बीरबल ने अकबर को यह कहावत सुनाई थी कि खाकर लेट जा और मारकर भाग जा-यह सयाने लोंगों की पहचान है। जो लोग ऐसा करते हैं, जिन्दगी में उन्हें किसी भी प्रकार का दुख नहीं उठाना पड़ता।
एक दिन अकबर को अचानक ही बीरबल की यह कहावत याद आ गई।
दोपहर का समय था। उन्होंने सोचा, बीरबल अवश्य ही खाना खाने के बाद लेटता होगा। आज हम उसकी इस बात को गलत सिध्द कर देगे।
उन्होंने एक नौकर को अपने पास बुलाकर पूरी बात समझाई और बीरबल के पास भेज दिया।
नौकर ने अकबर का आदेश बीरबल को सुना दिया
बीरबल बुध्दिमान तो थे ही, उन्होंने समझ लिया की बादशाह ने उसे क्यों तुरन्त आने के लिए कहा है। इसलिए बीरबल ने भोजन करके नौकर से कहा-'' ठहरो,मैं कपड़े बदलकर तुम्हारे साथ ही चल रहा हु।"
उस दिन बीरबल ने पहनने के लिए चुस्त पाजामा चुना। पाजामे को पहनने के लिए वह कुछ देर के लिए बिस्तर पर लेट गए। पाजामा पहनने के बहाने वे काफी देर बिस्तर पर लेटे रहे। फिर नौकर के साथ चल दिए।
जब बीरबल दरबार में पहुंचे तो अकबर ने कहा-'' कहो बीरबल, खाना खाने के बाद आज भी लेटे या नहीं?''
''
बिलकुल लेटा था जहांपनाह।''
बीरबल की बात सुनकर अकबर ने क्रोधित स्वर में कहा-'' इसका मतलब ,तुमने हमारे हुक्म की अवहेलना की है। हम तुम्हे हुक्म उदूली करने की सजा देंगे। जब हमने खाना खाकर तुरन्त बुलाया था, फिर तुम लेटे क्यों।"
''
बादशाह सलामत ! मेने आपके हुक्म की अवहेलना कहां की है। मैं तो खाना खाने के बाद कपड़े पहनकर सीधा आपके पास ही आ रहा हूं।
आप चाहें तो पैगाम ले जाने वाले से पूछ सकते है। अब ये अलग बात है की ये चुस्त पाजामा पहनने के लिए ही मुझे लेटना पड़ा था।" बीरबल ने सहज भाव से उतर दिया।
अकबर बादशाह बीरबल की चतुरता को समझ गए और मुस्कुरा पड़े।


किसी समय बीरबल ने अकबर को यह कहावत सुनाई थी कि खाकर लेट जा और मारकर भाग जा-यह सयाने लोंगों की पहचान है। जो लोग ऐसा करते हैं, जिन्दगी में उन्हें किसी भी प्रकार का दुख नहीं उठाना पड़ता।
एक दिन अकबर को अचानक ही बीरबल की यह कहावत याद आ गई।
दोपहर का समय था। उन्होंने सोचा, बीरबल अवश्य ही खाना खाने के बाद लेटता होगा। आज हम उसकी इस बात को गलत सिध्द कर देगे।
उन्होंने एक नौकर को अपने पास बुलाकर पूरी बात समझाई और बीरबल के पास भेज दिया।
नौकर ने अकबर का आदेश बीरबल को सुना दिया
बीरबल बुध्दिमान तो थे ही, उन्होंने समझ लिया की बादशाह ने उसे क्यों तुरन्त आने के लिए कहा है। इसलिए बीरबल ने भोजन करके नौकर से कहा-'' ठहरो,मैं कपड़े बदलकर तुम्हारे साथ ही चल रहा हु।"
उस दिन बीरबल ने पहनने के लिए चुस्त पाजामा चुना। पाजामे को पहनने के लिए वह कुछ देर के लिए बिस्तर पर लेट गए। पाजामा पहनने के बहाने वे काफी देर बिस्तर पर लेटे रहे। फिर नौकर के साथ चल दिए।
जब बीरबल दरबार में पहुंचे तो अकबर ने कहा-'' कहो बीरबल, खाना खाने के बाद आज भी लेटे या नहीं?''
'' बिलकुल लेटा था जहांपनाह।''
बीरबल की बात सुनकर अकबर ने क्रोधित स्वर में कहा-'' इसका मतलब ,तुमने हमारे हुक्म की अवहेलना की है। हम तुम्हे हुक्म उदूली करने की सजा देंगे। जब हमने खाना खाकर तुरन्त बुलाया था, फिर तुम लेटे क्यों।"
'' बादशाह सलामत ! मेने आपके हुक्म की अवहेलना कहां की है। मैं तो खाना खाने के बाद कपड़े पहनकर सीधा आपके पास ही आ रहा हूं।
आप चाहें तो पैगाम ले जाने वाले से पूछ सकते है। अब ये अलग बात है की ये चुस्त पाजामा पहनने के लिए ही मुझे लेटना पड़ा था।" बीरबल ने सहज भाव से उतर दिया।
अकबर बादशाह बीरबल की चतुरता को समझ गए और मुस्कुरा पड़े।
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