Monday 17 February 2014

अज्ञान का नाश होकर ह्रदय में ज्ञान आ जाता है

महात्माओं में अद्भुत प्रभाव होता है  उनके दर्शन, भाषण, स्पर्श, वार्तालाप से पापों का नाश और दुर्गुण-दुराचारों का अभाव होकर सद्गुण-सदाचार आ जाते है  अज्ञान का नाश होकर ह्रदय में ज्ञान आ जाता है, जिससे हमे सहज ही भगवतप्राप्ति हो जाती है  यह उन महापुरुषों का प्रभाव है, जो भगवान् के भेजे हुए अधिकारी पुरुष है अथवा जो महापुरुष परमात्मा को प्राप्त हो चुके है  ऐसे महात्मा परमात्मा ही बन जाते है  इसलिए परमात्मा के गुण-प्रभाव उनके गुण-प्रभाव है, यह समझना ही महात्मा को तत्व से समझना है 

वास्तव में महात्मा का आत्मा परमात्मा से अलग नहीं है, पर हम मानते नही, उसे परमात्मा से भिन्न समझते है, इसलिए हम परमात्मा की प्राप्ति से वंचित रहते है  यह समझना ही अन्त:करण की शुद्धि होने पर ही होता है 

भक्तिमार्ग में भगवान् से भिन्न रहने पर भी भक्तों की स्थिति विलक्षण होती है  जैसे जीवन्मुक्त ज्ञानी के दर्शन, भाषण, स्पर्श से मनुष्य पवित्र हो जाता है, वैसे ही भगवत्प्राप्त भगवतभक्त के दर्शन, भाषण, स्पर्श से भी हो जाता है  महापुरुषों का रहस्य वास्तव में महापुरुष बनने पर ही समझ में आता है  उनके उददेश्य सर्वथा अलौकिक और अदभुत होता है  उनका अपना तो कोई कर्म रहता ही नहीं  संसार में उनका जो जीवन है यानी शरीर की स्थिति है, तथा जो उनकी चेष्टा है, वह संसार के हित के लिए ही है  जैसे भगवान् का अवतार संसार के उद्धार के लिए होता है, वैसे ही महात्मा पुरुषों का जीवन भी संसार क उद्धार के लिए ही है  

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