Sunday 16 February 2014

मौन का महत्त्व

मौन का महत्त्व -
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मौन शब्द मुनि से उत्पन्न हुआ।अर्थात वह तप जो मुनि करते है।
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अधिक वाचालता से कुटिलता उत्पन्न होती है।
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घर परिवार में कई बार मौन रहने से सम्बन्ध बिगड़ने और टूटने से बच जाते है।
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भोजन के समय मौन रहने से खाना अच्छे से पचेगा , भोजन का पूर्ण आनंद मिलेगा और वात का प्रकोप नहीं होगा।
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सुबह के समय मौन रह कर ध्यान करने से परमात्मा के दिव्य विचार हमारे मस्तिष्क में आते है।
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मौन यानी आत्मा से वार्तालाप , वह आत्मा जो चिरंतन है और सम्पूर्ण ज्ञानी है और शांत स्वरूप, प्रेम स्वरूप है।
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एक घंटे के मौन से ही शक्ति में वृद्धि होती है।
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मौन एक महान तप है।
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क्रोध में आने पर मौन उत्तम उपाय है।
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कुछ भी अधर्म होते देख मौन रहना पाप है।
मौन का महत्त्व -
- मौन शब्द मुनि से उत्पन्न हुआ।अर्थात वह तप जो मुनि करते है।
- अधिक वाचालता से कुटिलता उत्पन्न होती है।
- घर परिवार में कई बार मौन रहने से सम्बन्ध बिगड़ने और टूटने से बच जाते है।
- भोजन के समय मौन रहने से खाना अच्छे से पचेगा , भोजन का पूर्ण आनंद मिलेगा और वात का प्रकोप नहीं होगा।
- सुबह के समय मौन रह कर ध्यान करने से परमात्मा के दिव्य विचार हमारे मस्तिष्क में आते है।
- मौन यानी आत्मा से वार्तालाप , वह आत्मा जो चिरंतन है और सम्पूर्ण ज्ञानी है और शांत स्वरूप, प्रेम स्वरूप है।
- एक घंटे के मौन से ही शक्ति में वृद्धि होती है।
- मौन एक महान तप है।
- क्रोध में आने पर मौन उत्तम उपाय है।
- कुछ भी अधर्म होते देख मौन रहना पाप है।



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