सदा मनाऊंये शारदा, माता करज्यौ मेहर
नान्यूं जलम्यौ रै नखतरां रै, गढ़ खरनाल्यौ सेहर
जलम दियो मातेसरी, धरमी धोल्या जाट
शुरो जलम्यौ सेहर में, पिंडता देखो हाथ
मात पिता परसण हुया, भगवंत दिन्हौ भेग
जोच्ची काढ यो टीपणो, नांव दिरायो तेज
रात बंदता दिन बध्या, च्चिव द्रांकर री मेहर
परण्यौ पीला पोतडां, तेजो सेहर पनेर
तड कै ऊठयौ पोर के, हलियो लीन्हो हाथ
आंटां वालौ पोतियो, थुथका रालै बाप
हाल पुराणी तो हल नुंवां, बैल्या नखरादार
हरिया मूंग मण्डोपरा, बीजै कंवर जुंवार
बैल्या बांध्या खेजडी, बैठो ढलती छांव
कांकड दीसै कांमणी, भाभज दीसै नांय
बैल्या भूखा रात रा, बिना हिरावण तेज
भाभज नै बिणती करां, कठै लगाई जेज
मण पीस्यौ मण पोवियो, मण बलदां के मोठ
घर से भूखी नीकली, मं आई अकण चोट
भोजन जीमल्यौ लाल जी, मती भरीजौ रीस
घर में सारो माय को, म्है किस विधि ल्यावां कोस
अन्न जल ल्यूं नही आप रो, सुण बीराली नार
सीधा जावांलां सासरै, भोजन बणसी त्यार
कर खेंकरो ऊठियो ,मेल मूंछ पर हाथ
गौर खोल टे गुजरी गिण गिण लेल्यो गाय
सारी दीसे चूकती, म्हारै निजरयां आयो नांय
कांण्यों म्हारौ केरड़ो, कठै थे दियो गमाय
केतो रथ को बेलिया, के सूरजी को सांड
कांण्यों म्हारौ केरडो, लादयौ पाछा जाय
रिण में तूं मरसी अकलो, सिरी नही संसार
रोय मरै थांणी मावडी, म्हेलां कल्पै नार
जाट कहीजै जातरो, छतरी तेजा नांय
गांयां भिड की गौर में, बाछडि या को बाग
लीले वाला मानवी, काल्यौ खाज्यो नाग
झाट पडै तखार री, तो जाय पिंयाला मांय
मरणे को मनै डर नहीं, नहीं जीणे में सार
जलम दियो म्हंनै जाटणी, म्है भली बजावां भार
कौल बचन तो काले तण्या, गायां ल्याजो तेज
बचनां बंबी जांवणूं, घडी पलक री जेज
दान तो चारण बामण लेवे, तीजो लेवे भाट
मं छत्री को जायो कहीजूं, बाजूं नंगीनो जाट
थूं अपराधी चौधरी, करे अनोखी बात
कठ घालूं थारै बैसणां, हिन्दवाणी रै घात
हाथ हथाली फूटरा, जीभां घालो घात
मकराणे की दवेल्यां, भली पड ावो भांत
घोडी म्हां री लीलडी, तूं सगती रो सीर
पल में हंसलो छुटियो, नंदियां खलक्यौ नीर
पीव ने लीन्हो गोद में, सती सरग में जाय
कीडो कांटो माछरयौ, नही मेले के मायं
धोल्या की धोको देवली, नंम ने जगावो रात
दसमीं चढावो चूंटयो चूरमो, अम्मर खेलो बात
तेजल चाल्यौ सासरे, ढलती मांझल रात
डावी बोली कोचरियां, सुगन सरीसा होय
कांकड़ मिलगी कामण्यां, छांणा चुगती दोय
घुड लो पाछो घेरियो, आडी फिरगी आय
गजब करया थे मावडी, पीवजी भूखो जाय
अनवी बोली आकरी, सुन्दर छोडो बांयं
नुगरी धरती मांयने, बासो ल्येवां नांयं
सलहज थाल परोसियो, भोजन जीमलयौ तेज
साल्यो बेन्याई जीमलयौ, साल्यां बिछायो सेज
पूला नीरां परेम रा, हिण-हिण हींस्यौ घोड
सूरै ने सुणियौ सेहर में, लाछां आयी दौड
बंदूकां तो खटका भरै, तखारां ने काट
डोडो बोले चौधरी, खरनाल्या को जाट
गौरज ऊभी मेडि यां, घुड ला री पकडी बाग
डुंगर ते डांडी नही, पग-पग काल्या नाग
सूरौ चाल्यो भार में, आने अमल नांयं
रिण में जावे अकेलो, पाछो किस विध आय
चांद सूरज म्यारै सांखा भरै, बांचा दयेवै तेज
बचनां बंबी आवस्यूं, म्हारै आठ पोहर की जेज
कौल बचन कर नीकल्यौ, घोड गायां के मांय
चुग चुग मारुं चोरटां, जिन्दा छोडूं नांय
मेर घणी माता तणी, सेहर पनेरां मायं
नान्यूं जलम्यौ रै नखतरां रै, गढ़ खरनाल्यौ सेहर
जलम दियो मातेसरी, धरमी धोल्या जाट
शुरो जलम्यौ सेहर में, पिंडता देखो हाथ
मात पिता परसण हुया, भगवंत दिन्हौ भेग
जोच्ची काढ यो टीपणो, नांव दिरायो तेज
रात बंदता दिन बध्या, च्चिव द्रांकर री मेहर
परण्यौ पीला पोतडां, तेजो सेहर पनेर
तड कै ऊठयौ पोर के, हलियो लीन्हो हाथ
आंटां वालौ पोतियो, थुथका रालै बाप
हाल पुराणी तो हल नुंवां, बैल्या नखरादार
हरिया मूंग मण्डोपरा, बीजै कंवर जुंवार
बैल्या बांध्या खेजडी, बैठो ढलती छांव
कांकड दीसै कांमणी, भाभज दीसै नांय
बैल्या भूखा रात रा, बिना हिरावण तेज
भाभज नै बिणती करां, कठै लगाई जेज
मण पीस्यौ मण पोवियो, मण बलदां के मोठ
घर से भूखी नीकली, मं आई अकण चोट
भोजन जीमल्यौ लाल जी, मती भरीजौ रीस
घर में सारो माय को, म्है किस विधि ल्यावां कोस
अन्न जल ल्यूं नही आप रो, सुण बीराली नार
सीधा जावांलां सासरै, भोजन बणसी त्यार
कर खेंकरो ऊठियो ,मेल मूंछ पर हाथ
गौर खोल टे गुजरी गिण गिण लेल्यो गाय
सारी दीसे चूकती, म्हारै निजरयां आयो नांय
कांण्यों म्हारौ केरड़ो, कठै थे दियो गमाय
केतो रथ को बेलिया, के सूरजी को सांड
कांण्यों म्हारौ केरडो, लादयौ पाछा जाय
रिण में तूं मरसी अकलो, सिरी नही संसार
रोय मरै थांणी मावडी, म्हेलां कल्पै नार
जाट कहीजै जातरो, छतरी तेजा नांय
गांयां भिड की गौर में, बाछडि या को बाग
लीले वाला मानवी, काल्यौ खाज्यो नाग
झाट पडै तखार री, तो जाय पिंयाला मांय
मरणे को मनै डर नहीं, नहीं जीणे में सार
जलम दियो म्हंनै जाटणी, म्है भली बजावां भार
कौल बचन तो काले तण्या, गायां ल्याजो तेज
बचनां बंबी जांवणूं, घडी पलक री जेज
दान तो चारण बामण लेवे, तीजो लेवे भाट
मं छत्री को जायो कहीजूं, बाजूं नंगीनो जाट
थूं अपराधी चौधरी, करे अनोखी बात
कठ घालूं थारै बैसणां, हिन्दवाणी रै घात
हाथ हथाली फूटरा, जीभां घालो घात
मकराणे की दवेल्यां, भली पड ावो भांत
घोडी म्हां री लीलडी, तूं सगती रो सीर
पल में हंसलो छुटियो, नंदियां खलक्यौ नीर
पीव ने लीन्हो गोद में, सती सरग में जाय
कीडो कांटो माछरयौ, नही मेले के मायं
धोल्या की धोको देवली, नंम ने जगावो रात
दसमीं चढावो चूंटयो चूरमो, अम्मर खेलो बात
तेजल चाल्यौ सासरे, ढलती मांझल रात
डावी बोली कोचरियां, सुगन सरीसा होय
कांकड़ मिलगी कामण्यां, छांणा चुगती दोय
घुड लो पाछो घेरियो, आडी फिरगी आय
गजब करया थे मावडी, पीवजी भूखो जाय
अनवी बोली आकरी, सुन्दर छोडो बांयं
नुगरी धरती मांयने, बासो ल्येवां नांयं
सलहज थाल परोसियो, भोजन जीमलयौ तेज
साल्यो बेन्याई जीमलयौ, साल्यां बिछायो सेज
पूला नीरां परेम रा, हिण-हिण हींस्यौ घोड
सूरै ने सुणियौ सेहर में, लाछां आयी दौड
बंदूकां तो खटका भरै, तखारां ने काट
डोडो बोले चौधरी, खरनाल्या को जाट
गौरज ऊभी मेडि यां, घुड ला री पकडी बाग
डुंगर ते डांडी नही, पग-पग काल्या नाग
सूरौ चाल्यो भार में, आने अमल नांयं
रिण में जावे अकेलो, पाछो किस विध आय
चांद सूरज म्यारै सांखा भरै, बांचा दयेवै तेज
बचनां बंबी आवस्यूं, म्हारै आठ पोहर की जेज
कौल बचन कर नीकल्यौ, घोड गायां के मांय
चुग चुग मारुं चोरटां, जिन्दा छोडूं नांय
मेर घणी माता तणी, सेहर पनेरां मायं
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