आपके पति की उम्र हजारो गुना लम्बी हो और सुख -
सम्पति से पूर्ण हो आपका जीवन
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करवाचौथ पर सभी बहनों को बहुत बहुत शुभकामनाये। |
करवाचौथ में छलनी और करवा का महत्व :- |
करवाचौथ के व्रत में छलनी से चांद को देखकर व्रत खोलने की परंपरा है। |
कुछ स्थानों पर इसे चलनी भी कहा जाता है। |
अमीर हो या गरीब सभी वर्ग की महिलाएं इस अवसर पर नई छलनी खरीदती हैं। |
व्रत की शाम छलनी की पूजा करके चांद को देखते हुए प्रार्थना करती हैं कि उनके सौभाग्य और सुहाग सलामत रहे। |
करवाचौथ में छलनी का प्रयोग किए जाने के पीछे पौराणिक कथा है। |
एक पतिव्रता स्त्री जिसका नाम |
वीरवती था इसने विवाह के पहले साल |
करवाचौथ का व्रत रखा। |
लेकिन भूख के कारण इसकी हालत खराब होने लगी। |
भाईयों से बहन की यह स्थिति देखी नहीं जा रही थी। |
इसलिए चांद निकलने से पहले ही एक पेड़ की ओट में छलनी के पिछे दीया रखकर बहन से कहने लगे कि देखो चांद निकल आया है। |
बहन ने झूठा चांद देखकर व्रत खोल लिया। इससे वीरवती के पति की मृत्यु हो गई। |
वीरवती को जब झूठे चांद को देखकर व्रत खोलने के कारण पति की मृत्यु होने की सूचना मिली तब वह बहुत दुःखी हो गई। |
वीरवती ने अपने पति के मृत शरीर |
को सुरक्षित अपने पास रखा और अगले वर्ष करवाचौथ के दिन नियम पूर्वक व्रत रखा जिससे करवामाता प्रसन्न हुई। |
वीरवती का मृत पति जीवित हो उठा। |
सुहागन स्त्रियां इस घटना को हमेशा याद रखें। |
कोई छल से कोई उनका व्रत तोड़ न दे, |
इसलिए स्वयं छलनी अपने हाथ में रखकर उगते हुए चांद को देखने की परंपरा शुरू हुई। |
करवा
चौथ में छलनी लेकर चांद को देखना यह भी सिखाता है कि पतिव्रत का पालन करते हुए
किसी प्रकार का छल उसे प्रतिव्रत से डिगा न सके।
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Tuesday, 22 October 2013
करवाचौथ में छलनी और करवा का महत्व
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