Thursday 8 May 2014

कभी न करें ये 3 काम वरना ज़िंदगीभर रहेंगे अप्रसन्न

किसी इंसान के जीवन में असफलता दु:खों के पीछे स्वयं के बुरे काम, सोच और व्यवहार भी होते हैं। शास्त्र भी यही कहते हैं कि कर्म के मुताबिक ही नतीजे मिलते हैं। हालांकि, व्यावहारिक तौर से कई मौकों पर ऐसा लगता है कि दूसरों के द्वारा हानि पहुंचाई गई, लेकिन सच यह भी होता है कि अपने व्यक्तित्व चरित्र की ही कोई कोई कमजोरी से विरोधी या शत्रु नुकसान करने में सफल हो जाता है। 

हिन्दू धर्मग्रंथ महाभारत में कर्म और व्यवहार के ऐसे ही 3 दोष बताए गए हैं, जो केवल मन, बुद्धि, स्वभाव और आचरण में विकृति लाते हैं, बल्कि इनसे मिले बुरे परिणाम व्यवहारिक जीवन में भी उथल-पुथल मचा सकते हैं। जो लोग सुखी जीवन की कामना रखते हैं, तो यहां बताए जा रहे 3 कामों से जरूर दूरी बनाए रखना चाहिए

महाभारत में यह नीति उजागर है कि

हरणं परस्वानां परदारभिमर्शनम्।
सुहृदश्च परित्यागस्त्रयो दोषा: क्षयावहा:।। 

सरल शब्दो में अर्थ यही है कि जीवन में तीन काम या दोष निश्चित रूप से पतन या नाश का कारण बन जाते हैं। ये हैं

दूसरों की धन-संपत्ति हड़पनालालच, लोभ या स्वार्थ के वशीभूत होकर ही कोई व्यक्ति दूसरों को धन-दौलत पर अधिकार करने की चेष्टा या विचार करता है। धर्म के नजरिए से ऐसे काम भाव बुरे ही नहीं, पूरे जीवन के लिए घातक होते हैं। शास्त्र कहते हैं कि दूसरों को सताने वाला खुद भी हमेशा अशांत ही रहता है। सूत्र यही है कि सुख शांति से भरे जीवन के लिए बिना मेहनत का पैसा कमाने या अपने और पराए की धन संपत्ति को कुटिल तरीकों से हड़पने की सोच से दूर ही रहा जाए।


 दूसरों की स्त्री से संबंध बनानासंयम, संकल्प और अच्छे विचारों का अभाव इस बुरे कर्म में लिप्त करता है और भारी कलह, रोग और अपयश का कारण बनता है। शास्त्र चरित्र को ही धन कहा गया है। चरित्र पतन सबकुछ खोने के समान ही बताया गया है। परस्त्री के संग से पैदा चरित्र की दुर्बलता आखिरकार दरिद्रता क्लेश की वजह बन जीवनभर सुख शांति से वंचित कर देती है। चरित्र की पवित्रता से जुड़ा यही सूत्र अपनाना स्त्री के लिए भी जरूरी बताया गया है।
 
सज्जन गुणी मित्र को छोड़ देनाअच्छी और बुरी संगति जीवन की दिशा तय करती है। ऐसे में सज्जन और गुणी मित्र, जो निस्वार्थ प्रेम, सहयोग और भावना से भरा हो, की उपेक्षा या अपमान ताउम्र कई रूपों में अशांति हानि की वजह ही बनता है। 

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