Thursday 8 May 2014

इन कामों से बदहाल भी हो जाता है खुशहाल

       बिना पूजा-पाठ इन कामों से बदहाल भी हो जाता है खुशहाल

16 अप्रैल से शुरू हिन्दू पंचांग का दूसरा महीना 'वैशाख" हमें सरलता और परोपकार की भावना से जीना सिखाता है। इसकी धर्म परंपराएं संवदेनाओं से भी भरी हुई हैं। स्कंदपुराण में देवर्षि नारद ने वैशाख माह का महत्व बताया कि विद्याओं में वेद श्रेष्ठ है, मंत्रों में प्रणव, वृक्षों में कल्पवृक्ष, गायों में कामधेनु, देवताओं में विष्णु, वर्णों में ब्राह्मण, वस्तुओं में प्राण, नदियों में गंगा, तेजों में सूर्य, अस्त्र-शस्त्रों में चक्र, धातुओं में स्वर्ण, वैष्णवों में शिव तथा रत्नों में कौस्तुभ मणि श्रेष्ठ है, उसी तरह महीनों में वैशाख माह सर्वोत्तम है।
 
देवर्षि नारद ने इस महीने की श्रेष्ठता के साथ ही वैशाख माह के धर्म और आचरण का महत्व भी बताया। इसके मुताबिक इस विशेष काल में कुछ ऐसे छोटे-छोटे आसान धार्मिक काम बताए गए हैं, जिनको दैनिक जीवन में अपनाने से जाने-अनजाने पाप भी नष्ट होते हैं और बिना पूजा-पाठ भी बहुत पुण्य मिलता है। अगली स्लाइड पर जानिए, ऐसे ही कुछ काम उनसे जुड़ा खास जीवन उपयोगी बातें-

                              बिना पूजा-पाठ इन कामों से बदहाल भी हो जाता है खुशहाल

इस माह में गर्मी का मौसम होने से जलदान श्रेष्ठ है। इस माह में जलदान करने वाला, प्याऊ लगवाने वाला, कुएं और तालाब बनवाने वाला बहुत पुण्य कमाता है। इसके पीछे संदेश यही है कि कि मानव ऐसे आचरण करे, जिससे एक इंसान दूसरे इंसान से भावनाओं और संवेदनाओं से जुड़ा रहे।
 
- इंसानों के अलावा अमूक प्राणी और पक्षियों के जीवन के लिए भी जल बहुत जरूरी होता है, इसलिए धर्मलाभ के ये आसान तरीके भी अपनाएं-  
 
- पक्षियों के लिए जलपात्र रखें।

- चींटियों के लिए आटे-गुड़ से बनी गोलियां डालें। 

- मछलियों को दाना दे। 

इसके पीछे भाव यह है कि अहं भाव छोड़कर स्वयं के मन को सुकून देने के साथ ही दूसरों को भी सुख और तृप्ति दें। अमुक जीवों को जल और भोजन देना इंसान को प्रकृति से भी जोड़ता है। 

- भूखे को भोजन कराएं, प्यासे को पानी पिलाएं।

- धूप से तपती जमीन से पैरों को बचाने के लिए पदयात्रियों को जूते-चप्पल या पादुका दान करें। 

- ठंडक के लिए पंखा दान दें। 

इन आसान कामों से किसी वजह से पूजा-पाठ कर पाने के बावजूद धर्म के साथ मानवीय भावनाएं भी एक-दूसरे तक पहुंचती हैं।
 
- इनके अलावा सारे तप, यज्ञ, दान और स्नान के साथ भगवान विष्णु श्रीकृष्ण की भक्ति, उपासना, कीर्तन, भजन, मंत्र जप के  यथाशक्ति उपाय अपनाना भी कामनासिद्धि करने वाले और बड़े ही पुण्यदायी पापनाशक माने गए हैं।

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