भारत में कई परंपराएं ऐसी हैं जिनका सीधा संबंध मनुष्य के स्वास्थ्य से है। ऐसी ही एक परंपरा हे जमीन पर बैठकर खाना खाने की है। भारतीय घरों में जिन लोगों के यहां आज भी खाना पारंपरिक तरीके से परोसा जाता है। वे जमीन पर बैठ कर खाना खाते हैं।
आजकल अधिकतर लोगजमीन पर बैठकर खाना नहीं खाते हैं, जबकि कुछ ऐसे हैं जो टीवी के सामने बैठ कर या बिस्तर पर बैठ कर खाना पसंद करते हैं। भले ही, यह आपके लिए बहुत आरामदायक हो, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। हमारे पूर्वजों ने निश्चित रूप से बहुत सोच कर जमीन पर सुखासन में बैठ कर खाने की प्रथा को निश्चित किया है। जमीन पर बैठकर खाने की आदत स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी है आइए जाने इसकी उपयोगिता के 10 कारण....
आजकल अधिकतर लोगजमीन पर बैठकर खाना नहीं खाते हैं, जबकि कुछ ऐसे हैं जो टीवी के सामने बैठ कर या बिस्तर पर बैठ कर खाना पसंद करते हैं। भले ही, यह आपके लिए बहुत आरामदायक हो, लेकिन यह स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। हमारे पूर्वजों ने निश्चित रूप से बहुत सोच कर जमीन पर सुखासन में बैठ कर खाने की प्रथा को निश्चित किया है। जमीन पर बैठकर खाने की आदत स्वास्थ्य के लिए बहुत उपयोगी है आइए जाने इसकी उपयोगिता के 10 कारण....
डाइजेस्टीव सिस्टम सुधारता है- आमतौर पर जब आप जमीन पर बैठते हैं तो सुखासन में बैठते हैं। जो कि पाचन में मदद करने वाली मुद्राएं हैं। जब आप भोजन करने के लिए इस मुद्रा में बैठते हैं तो पेट से जुड़ी समस्याएं कम होती है।
इसके अलावा जब आप जमीन पर बैठ कर खाना खाते हैं, तो आप स्वाभाविक रूप से खाने के लिए थोड़ा आगे झुकते हैं और खाने को निगलने के लिए वापस अपनी पहले वाली अवस्था में आ जाते हैं। इस तरह लगातार आगे और पीछे की ओर झुकने से आपकी पेट की मांसपेशियां सक्रिय रहती है। साथ ही, यह आपके पेट में एसिड को भी बढ़ाता है। इस तरह आपके लिए भोजन को पचाना बहुत आसान हो जाता है।
वजन नियंत्रण में रहता है- जब आप सुखासन में बैठते हैं, तो आपका दिमाग अपने आप शांत हो जाता है। वह बेहतर ढंग से भोजन पर ध्यान केंद्रित कर पाता है।
डायनिंग टेबल की बजाए सुखासन में बैठ कर खाने पर खाने की गति धीमी होती है। यह पेट
डायनिंग टेबल की बजाए सुखासन में बैठ कर खाने पर खाने की गति धीमी होती है। यह पेट
और दिमाग को सही समय पर तृप्ति का एहसास करवाता है। इस प्रकार सुखासन में बैठकर
खाने पर आप जरूरत से ज्यादा खाने से बचते हैं।
शरीर को लचीला बनाता है- जब आप पद्मासन में बैठते हैं, तो आपकी श्रोणि, निचली पीठ, पेट
के आसपास और पेट की मांसपेशियों में खिंचाव होता है।
जिसके कारण डाइजेस्टिव सिस्टम आराम से अपना काम कर पाता है। इसके अलावा, यह
जिसके कारण डाइजेस्टिव सिस्टम आराम से अपना काम कर पाता है। इसके अलावा, यह
स्थिति किसी भी प्रकार से आपके पेट को संपीडि़त नहीं करती, जिससे आपको खाने में और
बेहतर रीति से पचाने में मदद मिलती है।
आपका ध्यान खाने में रखता है- जब आप परिवार के साथ जमीन पर बैठ कर खाना खाते हैं
तो आपका ध्यान खाने में रहता है। यह केवल आपके ध्यान को ही खाने पर केंद्रित नहीं करता
बल्कि खाना खाते समय बेहतर विकल्प को चुननें में भी मदद करता है, क्योंकि इस मुद्रा में
आपका मन बहुत शांत और आपका शरीर पोषण को स्वीकारने के लिए तैयार होता है, जमीन
पर बैठ कर भोजन करने की प्रथा सही मात्रा में खाना खाने के लिए एवं सही प्रकार का भोजन
करने के लिए सबसे अच्छी है।
परिवार को बांधता है- आमतौर पर जमीन पर बैठे कर खाना खाने की प्रथा एक परिवारिक गतिविधि है। सही समय पर यदि पूरा परिवार एक साथ खाना खाए तो आपसी सामंजस्य बढ़ता है।
अपने परिवार के साथ जुड़ने
अपने परिवार के साथ जुड़ने
के लिए बहुत अच्छा है, क्योंकि जमीन पर बैठ कर भोजन करने से आपका मन शांत और सुखद रहता है, इसलिए यह अपने परिवार के साथ जुड़ने का एक बेहतरीन कारण बन जाता है।
समय से पहले बुढ़ा नहीं होने देता- खाना खाने का ये पारंपरिक तरीका आपको समय से पहले बुढा नहीं होने देता हैं, क्योंकि इस मुद्रा में बैठकर खाना खाने से रीढ़ की हड्डी और पीठ से जुड़ी समस्याएं नहीं होती है।
साथ ही, जो लोग कंधों को पीछे धकेलते हुए गलत मुद्रा में बैठने के कारण किसी तरह के दर्द से परेशान होते हैं। वह समस्या भी इस आसन में बैठकर खाना खाने से दूर हो जाती है।
साथ ही, जो लोग कंधों को पीछे धकेलते हुए गलत मुद्रा में बैठने के कारण किसी तरह के दर्द से परेशान होते हैं। वह समस्या भी इस आसन में बैठकर खाना खाने से दूर हो जाती है।
उम्र को बढ़ा सकता है ये तरीका- एक अध्ययन में पाया गया है कि जो लोग जमीन पर पद्मासन में या सुखासन में बैठते है और बिना किसी सहारे के खड़े होने में सक्षम होते हैं। उनकी लंबे समय तक जीवित रहने की संभावना ज्यादा होती है, क्योंकि इस मुद्रा से उठने के लिए अधिक लचीलेपन और शारीरिक शक्ति की आवश्यकता होती है।
इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि जो लोग बिना किसी सहारे के उठने में सक्षम नहीं थे,उनकी अगले 6 सालों में मरने की संभावना 6.5 गुना अधिक थी।
इस अध्ययन से यह भी पता चला है कि जो लोग बिना किसी सहारे के उठने में सक्षम नहीं थे,उनकी अगले 6 सालों में मरने की संभावना 6.5 गुना अधिक थी।
जोड़ों को लचीला बनाता है- पद्मासन और सुखासन एक ऐसी मुद्रा है जो आपके पूरे शरीर को
लाभ पहुंचाती है। ये केवल आपके पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में ही मदद नहीं करते, बल्कि
आपके जोड़ों को कोमल और लचीले बनाए रखने में भी मदद करते हैं। गठिया व हड्डियों की
कमजोरी जैसे अपक्षयी रोगों से भी बचाते हैं।
घुटने, टखने और कमर के जोड़ों को लगातार झुकाने के कारण यह उन्हें लचीला और रोगों से
घुटने, टखने और कमर के जोड़ों को लगातार झुकाने के कारण यह उन्हें लचीला और रोगों से
मुक्त रहने में मदद करता है। लचीलेपन के साथ जोड़ों में चिकनाई आती है जिससे जमीन
पर
बैठने में आसानी होती है।
दिमाग को रखता है कुल- जो लोग सुखासन में बैठकर खाना खाते हैं। उनका दिमाग तनाव
रहित रहने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि यह दिमाग को रिलैक्स औेर तंत्रिकाओं को
शांत करता है।
आयुर्वेद में माना गया है कि मन को शांत रखकर खाना खाने से पाचन बेहतर होता है और
आयुर्वेद में माना गया है कि मन को शांत रखकर खाना खाने से पाचन बेहतर होता है और
कुछ मामलों में तो लोगों को स्वाद से भोजन खाने में भी मदद करता है। साथ ही, खाने के
बाद संतुष्टी का एहसास भी करवाता है।
दिल को मजबूत बनाता है- जब आप जमीन पर बैठ कर खाना खाते हैं तो ब्लड सर्कुलेशन
सुधरता है। इस तरह दिल बड़ी आसानी से पाचन में मदद करने वाले सभी अंगों तक खून
पहुंचाता है, लेकिन जब आप कुर्सी पर बैठ कर खाना खाते हैं तो यहां ब्लड सर्कुलेशन विपरीत
होता है।
इसमें सर्कुलेशन पैरों तक होता है, जो कि खाना खाते समय जरूरी नहीं होता है। जबकि जमीन पर बैठ कर खाना खाने से आपको मजबूत मांसपेशियों के साथ एक स्वस्थ दिल मिलता है।
इसमें सर्कुलेशन पैरों तक होता है, जो कि खाना खाते समय जरूरी नहीं होता है। जबकि जमीन पर बैठ कर खाना खाने से आपको मजबूत मांसपेशियों के साथ एक स्वस्थ दिल मिलता है।
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