तुलसी का महत्व
भारत में तुलसी का महत्वपूर्ण स्थान है।
तुलसी के तीन प्रकार होते हैं- कृष्ण तुलसी,
सफेद तुलसी तथा राम तुलसी। इनमें कृष्ण
तुलसी सर्वप्रिय मानी जाती है। तुलसी में
खड़ी मंजरियाँ उगती हैं। इन मंजरियों में
छोटे-छोटे फूल होते हैं।
देव और दानवों द्वारा किए गए समुद्र
मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका,
उसी से तुलसी की उत्पत्ति हुई। ब्रह्मदेव ने
उसे भगवान विष्णु को सौंपा। भगवान
विष्णु, योगेश्वर कृष्ण और पांडुरंग
(श्री बालाजी) के पूजन के समय
तुलसी पत्रों का हार उनकी प्रतिमाओं
को अर्पण किया जाता है।
तुलसी का प्रतिदिन दर्शन
करना पापनाशक समझा जाता है तथा पूजन
करना मोक्षदायक। देवपूजा और
श्राद्धकर्म में तुलसी आवश्यक है।
तुलसी पत्र से पूजा करने से व्रत, यज्ञ, जप,
होम, हवन करने का पुण्य प्राप्त होता है।
कहते हैं भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी अत्यंत
प्रिय है।
स्वर्ण, रत्न, मोती से बने पुष्प
यदि श्रीकृष्ण को चढ़ाए जाएँ
तो भी तुलसी पत्र के बिना वे अधूरे हैं।
श्रीकृष्ण अथवा विष्णुजी तुलसी पत्र से
प्रोक्षण किए बिना नैवेद्य स्वीकार
नहीं करते। कार्तिक मास में विष्णु भगवान
का तुलसीदल से पूजन करने का माहात्म्य
अवर्णनीय है। तुलसी विवाह से कन्यादान
के बराबर पुण्य मिलता है साथ ही घर में
श्री, संपदा, वैभव-मंगल विराजते हैं
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