Wednesday, 7 August 2013

एक अमीर आदमी

एक अमीर आदमी था.उसने समुद्र मेँ अकेले घुमने के लिए एक नाव बनवाई.छुट्टी के दिन वह नाव लेकर समुद्रकी सेर करने
निकला.आधे समुद्र तक पहुचा ही था कि अचानक एक जोरदार तुफान आया.उसकी नाव पुरी तरह से तहस-नहसहो गई लेकिन
वह लाईफ जेकेट की मदद से समुद्र मेँ कुद गया.जब तुफान शांत हुआ तब वह तेरता तेरता एक टापुपर पहुचा लेकिन वहाभी कोई नही था. टापु के चारो और समुद्र के अलावा कुछ भी नजरनही आ रहा था. उस आदमी ने सोचा कि अब पुरी जिदंगी मेँ किसी का कभी भी बुरा नही किया तो मेर साथ ऐसा क्यु हुआ..? उस आदमी को लगा कि भगवान ने मौत से बचाया तो आगे का रास्ता भी भगवान ही बताएगा. धीरे धीरे वह वहा पर उगे झाड-पत्ते खाकर दिन बिताने लगा. अब धीरे-धीरे उसकी श्रध्दा टुटने लगी भगवान पर से उसका विश्वास उठ गया. उसको लगा कि इस दुनिया मेँ भगवान है हि नही.! फिर उसने सोचा कि अब पुरी जिंदगी यही इस टापु पर बितानी है तो क्यु ना एक झोपडी बना लु..? फिर उसने झाड कि डालियो और पत्तो से एक छोटी सी झोपडी बनाई. उसको लगा कि, हाश, आज से
झोपडी मेँ सोने को मिलेगा आज से बाहर नही सोना पडेगा.रात हुई ही थी कि अचानक मौसम बदला बिजलीया जोर जोर से गिडगिराने
लगी.! तभी अचानक एक बिजली उस झोपडी पर आ गिरी और झोपडी धधकते हुए जलने लगी. यह देखकर वह आदमी टुट गया आसमान की तरफ देखकर बोला तु भगवान नही , राक्षस है, तुजमे दया जैसा कुछ है ही नही तु बहुत क्रुर है. हताश होकर सर पर हाथ रखकर रो रहा था. कि अचानक एक नाव टापु के पास आई. नाव से उतरकर दो आदमी बाहर आये. और बोले कि, हम तुमे बचाने आये है, तुम्हारा जलता हुआ झोपडा देखा तो लगा कि कोई उस टापु पर मुसीबत मेँ है.! अगर तुम अपनी झोपडी नही जलाते तो हमे पता नही चलता कि टापु पर कोई है! उस आदमी कि आँखो से आँसु गिरने लगे.उसने ईश्वर से माफी माँगी और बोलाकि मुझे क्या पता कि आपने मुझे
बचाने के लिए मेरी झोपडी जलाई थी !
अत; दोस्तों भगवान जो भी करता हैं
अच्छा ही करता हैं ।

By:- Laxman ram jakhar dharasar

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