Tuesday, 13 August 2013

दुनिया में दो प्रकार के जीव हैं

दुनिया में दो प्रकार के जीव हैं एक ज्ञानी जो मोक्ष को प्राप्त करना चाहते हैं और दुसरे भक्त जो अपनी भक्ति से भगवान को प्राप्त करना चाहते हैं लेकिन आज का इंसान अपने जीवन लक्ष्य से भटक गया है। वह भगवान से दूर होता चला जा रहा है परंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि अगर हमें अपने जीवन को सुखमय व्यतीत करना है तो भगवान को याद करना अतिआवश्यक है। और जीव जब कथा श्रवण करता है तो उसके विचार सुन्दर हो जाते है। इससे उसका लौकिक और पारलौकिक जीवन सुखमय हो जाता है। भागवत सभी रोगों का निवारण करने वाली औषधी है लेकिन जरूरत है तो इसके गुणों को जानने की।

अहंकार,लोभ,क्रोध,लालच,और पापों से दूर रहने के लिए भागवत कथा का श्रवण अनिवार्य है। मानव वह नहीं जो गलती करके उसे स्वीकार न करे बल्कि सच्चा इंसान तो वह है जो गलती करके उसे स्वीकार करने के साथ-साथ आगे से न दोहराने की शपत लेता हो और यह भागवत हमें सिखाती है कि क्या गलत है व क्या सही है। आज का इंसान भागवत महापुराण से अपने सुखी जीवन के लिए जो कुछ भी मांगता है असल में वह सुख की वस्तुएं नहीं बल्कि सांसारिक भोगविलास की वस्तुएं हैं।सच्चा सुख अगर किसी में है तो वो मेरे गोविंद की भक्ति में है। अरे कलयुग के प्राणियों कलयुग में तो भगवान का नाम मात्र लेने से ही व्यक्ति सांसारिक भोगविलास से मुक्त होकर भगवान के धाम में पहुँच जाता है। भागवत कथा का श्रवण मात्र ही हमारे जीवन के साथ-साथ हमारी मृत्यु को भी संवार देता है।

॥ जय जय श्री राधे ॥ ॥ जय जय श्री राधे ॥ ॥ जय जय श्री राधे ॥

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