Monday, 26 August 2013

जाखड़ गोत्र का इतिहास

जाखड़ गोत्र का इतिहास

ठाकुर देशराज लिखते हैं कि जाखड़ गोत्र उन क्षत्रियों के एक दल के नाम पर प्रसिद्ध हुआ है, जो सूर्य-वंशी कहलाते थे। इस गोत्र को जागे (भाट) लोगों ने एक राजपूत के जाटनी से शादी कर लेने वाली बेहूदी दलील के आधार पर राजपूत से जाट होना लिखा है। भाट लोगों की बहियों में कहीं इन्हें चौहानों में से, कहीं उधावतों में से और कहीं सरोहे राजपूतों में से निकला हुआ लिखा है। भाटों की ऐसी बेबुनियाद और बेहूदी गढ़न्तों


के सम्बन्ध में पीछे के अध्यायों में काफी लिखा जा चुका है। जाखड़ एक प्रसिद्ध गोत्र है। इसक गोत्र के जाट पंजाब, राजस्थान ओर देहली प्रान्तों में पाये जाते हैं। मि. डब्लयू. क्रुक ने-‘उत्तर-पश्चिमी प्रान्त और अवध की जातियां’ नामक पुस्तक में लिखा है कि “द्वारिका के राजा के पास एक बड़ा भारी धनुष और बाण था। उसने प्रतिज्ञा की थी कि इसे कोई तोड़ देगा, उसका दर्जा राजा से ऊंचा कर दिया जाएगा। जाखर ने इस भारी कार्य की चेष्टा की और असफल रहा। इसी लाज के कारण उसने अपनी मातृ-भूमि को छोड़ दिया और बीकानेर में आ बसा।” जाखर बीकानेर में कहां बसा इसका मता ‘जाट वर्ण मीमांसा’ के लेखक पंडित अमीचन्द शर्मा ने दिया है। जाखड़ ने रिडी को अपनी राजधानी बनाया। भाट के ग्रन्थों में लिखा है कि द्वारिका के राजा के परम रूपवती लड़की थी। उसने प्रतिज्ञा की थी कि जो कोई मनुष्य धनुष को तोड़ देगा, उसी के साथ में लड़की की शादी कर दी जाएगी। साथ ही उसे राजाओं से बड़ा पद दिया जाएगा। जाखड़ सफल न हुआ। जाखड़ एक नरेश था। इस कहानी से यह मालूम होता है कि जाखड़ लोगों का इससे भी पहले अजमेर प्रान्त पर राज्य था, यह भी भाट के ग्रन्थों से पता चलता है। हमें उनके राज्य के होने का पता मढौली पर भी चलता है। मढौली जयपुर राज्य में सम्भवतया मारवाड़ की सीमा के आस-पास कहीं था। उस समय फतहपुर के आस-पास मुसलमान राज्य करते थे। इन मुसलमानों और जाखड़ों में मढौली के पास युद्ध हुआ था। जिला रोहतक में लडान नामक स्थान पर जाखड़ों के सरदार लाड़ासिंह का राज्य था। एक बार पठानों ने उनसे लडान छीन लिया। जाखड़ लोगों ने इसे अपना अपमान समझा और सम्मिलित शक्ति से उन्होंने लडान को फिर पठानों से ले लिया। इस तरह उनके कई सरदारों ने औरंगजेब के समय तक राजस्थान और पंजाब के अनेक स्थानों पर राज किया है। अन्तिम समय में उनके सरदारों के पास केवल चार-चार अथवा पांच-पांच गांव के राज्य रह गये थे। (जाट इतिहास:ठाकुर देशराज,पृ.-595)

बुरड़क इतिहास में जाखड सरदार

बुरड़क गोत्र का इतिहास जो उनके बडवे से प्राप्त किया गया है में भी जाखड़ सरदारों का उल्लेख यों होता है-
धरणीजी जाखड (985 ई.) - चौधरी मालूरामजी बुरड़क, धरणीजी जाखड,चौधरी आलणसिंहजी तथा वीरभाणजी हरिद्वार, केदरनाथ, द्वारकाजी, गंगासागर, कुंभ आदि का स्नान कर तीन साल की यात्रा से सरनाउआये. वापस आकर पंच-कुण्डीय यज्ञ करवाया. 51 मण घी की आहुति कराई. 51 गायें और 700 मण अनाज ब्राह्मणों को दान किया. गांव कारी के पंडित गिरधर गोपाल द्वारा यज्ञ सम्पन्न किया गया. पंडित गिरधर गोपाल की बेटी राधा को धर्मं परणाई और पीपल परणाई. चौधरी हालूराम के समय दिल्ली के रावराजा महिपाल के समय ये काम संवत 1042 (985 ई.) में कराये.

चौधरी मालूरामजी बुरड़क, धरणीजी जाखड,चौधरी आलणसिंहजी तथा वीरभाणजी ने संवत 1042 में सरनाउ-कोट तथा गढ, बावडी आदि बडवा जगरूप को लिखवाया और दान किया.
दिल्ली पति महीपाल तंवर के अधीन राव राजा की राजधानी सरनाउ को संवत 1032 में बनाया. बुरड़कों की राजधानी सरनाऊ संवत 1032 से संवत 1315 (975 AD - 1258 AD) तक रही.
रिड़मल जाखड (1252 AD) - बुरडक गोत्र के इतिहास के अवलोकन से यह भी पता चलता है कि सरनाऊ-कोट के बुरड़क और गनोडा के मामराज ढाका के बीच लडाई 6 बार हुई. इनमें वह बुरड़क सरदारों को को नहीं हरा सका था. इनमें से दूसरी लड़ाई काती सुदी 13 संवत 1309 (1253 AD) को जाखड़ सरदार रिड़मल जाखड के नेतृत्व में हुई थी:
दूसरी लडाई - सरनाउ-कोट पर दूसरी लडाई काती सुदी 13 संवत 1309 को हुई. मामराज ढाका के साथ 15000 आदमी थे. लडाई में 800 आदमी काम आये. इनमें से पदम सिन्ह के 200 तथा मामराज ढाका के 600 लोग काम आये. नसरूदीन महमूद बादशाह के समय संवत 1309 (1252 AD) को इसके सेनापति रिडी बिग्गा के रिड़मल जाखड थे.

52 comments:

  1. लक्ष्मण जी यह बहुत अच्छा प्रयास है। आपको बहुत बहुत धन्यवाद। आप धारासार के इतिहास के बारे में बतावेन तो इसका विस्तार हम जाट लैंड पर करें। http://www.jatland.com/home/Dharasar
    सादर
    लक्ष्मण बुरड़क

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  2. जय बिग्गा दादा जी की

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  3. भाई जी आपने अच्छा प्रयास किया इतहास बताने का
    किसी भी भाई के पास और कोई जानकारी हो जाखड़ इतिहास के बारे में तो मुझे भेजना बड़ी कृपा होगी
    9812944104

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    1. भाई मुझे इसके बारे में डिटेल से बात करनी ह अगर कोई बात बता सकता ह तो 9024376662 पर मैसेज करे

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  4. भाइयों एक बात बताओ जाखड़ों की कुल देवी का नाम क्या है और कुलदेवी का मन्दिर कहाँ है?

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    1. JAKHRANIBAI JI
      MANDIR- BINTHWALIYA,PARBATSAR, NAGAUR, RAJASTHAN

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    2. जाखड़ो की कुलदेवी पीथल मांता है

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    3. पिथल माता

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  5. POONAM CHAND JAKHAR
    M.7665303029

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  6. Sachin jakhar call me 7037097660

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  7. जय वीर बिग्गाजी महाराज

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  8. जाखड़ जाट की कुल देवी का नाम और मंदिर कहां है,8890509037

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  9. Ram Ram Sara jakhar bhayo ko

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  10. Kul devta pithiraj Maharaj sirohi neem Ka Thana

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    1. Bhai muje baba ji ka pura vivran cha he
      Aapke pas ha time bataeo

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    2. Bhai muje baba ji ka pura vivran cha he
      Aapke pas ha time bataeo

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  11. पाकिस्तान में jakharo ने धर्म परिवर्तन कब किया था,,

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  12. Ye sirohi wala mamla kya h shab prtviraj ji wala ye batana pls

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    1. Bhai app ko pta hona to muje be batana

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    2. contact at 9251352005... Pirtaviraj maharaj kaise jakhar ke kuldev bane.

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  13. Lakhveer singh jakhar. bathinda, punjab

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  14. और लक्ष्मण राम जी ब्लॉगर के संचालक हमारी जाखड़ जाति को इंटरनेट पर लाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद ब्लॉगर में आपको बहुत तरक्की मिले यही गुंजाइश हमारी भगवान से हैं कैसे हो आप

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  15. Shrawan 𝕵𝖆𝖐𝖍𝖆𝖗

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  16. Sabhi Jakhar bhaiyon ko Ram ram kya Jakhar aur jakhad gotra donon ek hi hai kya aap mujhe batayenge donon mein kya Fark Hai

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  17. लक्ष्मण जी राम राम बीग्गा जी दादा के साथ लङाई में कोन कोन थे बागङवा,ढाढी। तावणीया,ब्रहाम्ण। व मेघवाल किस गोत्र का था कृपया बताने का कष्ट करें जी

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    1. कालवा मेघवाल था

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  18. जाटों के सभी गौत्र राजपूतों से ही निकले हुए है।

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    1. Jaat aur Rajput sab chaatariye the ... saare chaatariye ka chaar hi naak h --
      1. Padihaar
      2. Pawar
      3. Solanki
      4. Chohan

      contact at 9251352005 for more details

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  19. जाखड़ो री उत्पत्ति मंडोर रे पड़िहारो से हुई इण रो उल्लेख वीर विग्गा जी की पुस्तक में है अर सूर्यवंशी है पड़ियारो गी उत्पत्ति भगवान राम ये छोटे भाई लक्ष्मण सु हुई इण रो उल्लेख मंडोर गो कुक्कुट अर घटियाला अभिलेख में है प्रतिहार अर पड़िहारा एक ही है लिखत में प्रतिहार अर बोलचाल री भाषा में पड़ियार है

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  20. Bhai shaab ye dada pirthviraj wala kya mater h Toda batao gye es bare me kuch

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    1. Raja Udayrat Jakhar mandoli (neem ka thana, sikar, Rajasthan) ke 52,000 bicha per raaj kr rhe the. Us time Privtiraj (gotar Jhajharia ) bi Ajmer me ek chote area per raaj kr rhe the aur unka parviar me koi ni baccha to wo apni bhen (Surja bai) ke sath mandoli aane ka soche, apne daram (muh bolo) bhai Udayrat ke pass mandoli me.

      Pritaviraj apni bhen ke sath mandoli ke liye nikal gye aur shayam hone per udapurwati (jhunjhunu) ke pass ruke.

      Wha ek aurat (by cast maali) akeli rhti thi... aur usi raat uski gaaye chori ho gyi thi... usne deka ki yha koi ruka hua h... wo Pritaviraj ke pass gyi aur unse kha ki aap tejaswi dik rhe hai, kya aap meri gaayo ko lekr aa skte h kya ...

      To Pritiviraj ji gaay dunde nikal gye aur raat me saari gaayo ko lekr aa gye ... to aurat ne deka gaaye to saari aa gyi lekin itni gaayo me ek hi saand (bull) tha aur wo rh gya ... tab us auart ne kha ki mai in gaayo ka kya krungi bina saand ke ... aap mera saand b lekr aao...

      Pritaviraj fir se saand ko lene ke liye bagar (Jhunjhunu) gye aur wha ladai me unka sir (head) cut gya... sir alg hote hi Surja bai ko lga ki kuch unhoni hui h unke bhai ke sath to wo apna ghodda lekr bagad nikli aur bhai ka sir wha se lekr mandoli ke liye nikal gyi..

      Abhi bohar (dawn/ early morning ) hi ho rhi thi, aur Surja bai sirohi(6km from Neem ka thana) ke pass phuchi thi ki ... 2 aurate(1 sunar 1 kumhar) wha se ja rhi thi, aur khti h ki deko bina sarir (body) wala aadmi- aurat (husband- wife) ja rhe h ...

      To Surja bai ne socha ki abhi to subh b ni hui aur ye hume bhai-bhain ko patti- patni bta rhe to aage jane to aur b baate banegi ... Aisa kh kr Surja bai ne bhagwan ka dyan kiya aur sirohi me kejadi ke ped ke niche samadi le li..

      Abhi b Pritaviraj ko apne bhai se milne ki ichha puri ni hui na hi unke sarir ko mukh agni daan hua... to jis aurut ne baat bani thi unme se sunar ke gaay thi... Ab wo gaay sunar ko dud dena band kr di aur har roj us khejdi ke ped ke pass aakr dud de deti thi... gaay roj sunar ke ghar se dud lekr subh aati aur shayam me bina dud ke jati ...

      To ek din sunar gaay ka picha krta aur dekta h ki wo ped ke pass kadi ho jati h aur gaay ka saar dud ped me chala jata h... to wo us ped ki kaatne ke socta h .. Sunar jab ped ko kaatne lgta h usi ke chipak jata h ...

      Sunar maafi magta h aur khta h ki mai aapko pechan ni paya ki aap kya shakti h ... aap mujhe maar koe aur apne darshan de ... tab Pritaviraj khte h ki tum mandoli jao aur wha mere bhai Udayrat ko kaho ki unka bhai Pritavi aur bhain Surja bhuke h, aap jakr unse milo...

      Sunar raja Udayrat ke pass phucha aur unko saari baat btai... Raja wha phuche aur Pritaviraj se baate ki... us baad Pritaviraj aur Surja bai ko vidhi purwak kriyakram krwaya aur wha per mandir banwaya...

      Us din se Pritaviraj humesa raja ke sath rhte aur saare yudh jitaye aur unke area vistar krwaya. Tab se raja se Biggaji ke sath sath Pritaviraj ko kul devta maan liya.


      Aaj b Pritaviraj ki seva (mandir ke pujari) Jhajharia h... aur Jakhar Prithviraj ko kul devta maante( pujte) h, aur har choot (शुक्ला चतुर्थी) ko dharandi (gaay ya bhen ka dhai ya ghee) dete h ... us din koi b chach ni krte...

      Jakhar ke bacho ke phala mudan, shaadi ke baad jode ko pheli dev poojan ke liye esi mandir me laya jata hai...

      Mandoli se nikali hue Jakhar Pritaviraj ko apna kul devta maante h ... Mandoli se nikie hue jakhar jaydatar sikar, Jaipur, harayana area me h...

      Yha biggaji maharaj dada ko itna ni jante ....



      For more details - contact at 9251352005
      Vikram Jakhar

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