ओ कंप्यूटर युग की छोरी मन की काली तन की गोरी करना मुझको माफ़ मैं तुम्हे प्यार नही कर पाउँगा तू फैशन tv सी लगती मैं संस्कार का चेनल हूँ तू मिनरल पानी की बोतल लगती है मैं गंगा का पावनजल हू तुम लाखो की गाड़ी में चलने वाली मैं पाव पाव चलने वाला तुम हलोजन सी जलती हो मैं दीपक सा जलने वाला करना मुझको माफ़ मैं तुम्हे प्यार नही कर पाउँगा तुम रैंप पर देह दिखाती हो मैं संस्कार को जीता हू जब तुम्हे देख कर सिटी बजती मैं घुट लहू का पीता हूँ तुम सूप पीने वाली मैं मैठा पीने वाला तुम शॉक अलार्म से भी ना डरो मैं पॉपकॉर्न से डरने वाला तुम डिस्को की धुन पर नाचो मैं राम नाम ही जबता हूँ तुम पीता जी को डैड और टेलीफोन को भी डैड कहो और माँ को मम्मी(mummy) बुलाती हो तुम करवा चौथ भूल बैठी और वेलन टाइम डे मनाती हो तुम पॉप म्यूजिक की धुन सी बजती मैं बंसी की धुन का धनिया मुझ से डॉट कॉम भी ना लगती तुम इंटरनेटी दुनिया तुम मोबाइल पर मेसेज लिखने वाली मैं पोस्टकार्ड लिखने वाला तुम राकेट सी लगती हो और मैं उड़ने वाला गुब्बारा सा तू अपना सब कुछ हार चुकी मैं जीता हुआ जुआरी हूँ
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जो इंसान मादक् द्रव्योँ का सेवन करता है उसके घर मे अशांति नामक शैतान हमेशा घर के अंदर ही रहता है ॥हरी ॐ॥ एक आदमी मादक द्रव्यो का सेवन करता था और आए दिन अपनी पत्नी और बच्चों को नशे मे आपा खोते ही मारने लगता था पत्नी बच्चे चुपचाप उसके जुल्म सहते रहते थे इसके सिवा उनके पास कोई चारा नही था एक दिन उनके गाँव मे एक पहुँचे हुए संत पधारे तो उसकी पत्नी को किसी ने कहा की वे सभी के कष्टो का निवारण करते है तुम भी उनके पास जाओ हो सकता है कोई उपाय मिल जाए तब वह वह अपनी समस्या को लेकर साधु के पास गई तो और अपनी सारी व्यथा कह सुनाई उसकी बात सुनकर साधु बोले कि मे तुम्हारे घर कल आऊँगा तुम अपने घर जाओ दूसरे दिन साधु उसके घर आए तब उसका पति भी घर पर ही था और नशे मे झूम रहा था साधु को देखकर वह क्रोध से घूरने लगा साधु ने प्यार से उसकी और देखा और बोले वत्स मैं एक काम से यहाँ आया हूँ क्या आदमी ने गुस्से से पूछा तब साधु बोले तुम्हारे घर मे एक भयंकर प्राणी छिपा बैठा है वह तुम्हारे घर को बर्बाद कर रहा है आदमी ने इधर उधर देखकर कहा यहाँ तो कोई नही है साधु दृढ़तापूर्वक बोले है वह तुम्हें दिखाई नही देगा पर वह हर घड़ी तुम्हारे सिर पर सवार रहता है आदमी ने सवाल किया कौन है वह साधु बोले वह शैतान है पर आज मैं उसे अपने साथ ले जाऊँगा उसके जाने के बाद तुम देखोगे कि तुम्हारा घर स्वर्ग बन गया है यदि तुम उसे नही ले जाने दोगे तो वह एक दिन तुम्हारे पूरे परिवार को तबाह कर देगा तुम्हारे घर मे एक देवी है शैतान के जाते ही तुम्हारे घर मे देवता आन बसेंगे और तुम्हारे घर मे सुख चैन का धाम बन जाएगा साधु के शब्दों मे जादू था आदमी को सामने शैतान नजर आने लगा वो जोर जोर से चिल्लाने लगा वो रहा वो रहा शैतान उसका भयंकर रूप देखकर उसने आँखें बंद कर ली साधु ने एक डब्बी निकाली और उसमें उस शैतान को बंद कर के आदमी से बोला की अब इस शैतान को अंदर मत आने देना आज तो मैं इसे बंद करके ले जा रहा हूँ पर ये फिर आ सकता है अगर फिर तुमने नशे के पास जाओगे तब वह आदमी बोला स्वामी जी आज के बाद मे कभी भी शराब को हाथ नही लगाऊगा उसके बाद साधु वहाँ से रवाना हुए इसके बाद आदमी ने अपनी और बच्चे से अब तक किए दुर्व्यवहार के लिए माफी माँगी उसके बाद उनका जीवन बदल गया उनके घर मे आनंद की वर्षा होने लगी ॥वन्दे मातरम् ॥ ॥जय माँ गंगा॥
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जो इंसान मादक् द्रव्योँ का सेवन करता है उसके घर मे अशांति नामक शैतान हमेशा घर के अंदर ही रहता है ॥हरी ॐ॥ एक आदमी मादक द्रव्यो का सेवन करता था और आए दिन अपनी पत्नी और बच्चों को नशे मे आपा खोते ही मारने लगता था पत्नी बच्चे चुपचाप उसके जुल्म सहते रहते थे इसके सिवा उनके पास कोई चारा नही था एक दिन उनके गाँव मे एक पहुँचे हुए संत पधारे तो उसकी पत्नी को किसी ने कहा की वे सभी के कष्टो का निवारण करते है तुम भी उनके पास जाओ हो सकता है कोई उपाय मिल जाए तब वह वह अपनी समस्या को लेकर साधु के पास गई तो और अपनी सारी व्यथा कह सुनाई उसकी बात सुनकर साधु बोले कि मे तुम्हारे घर कल आऊँगा तुम अपने घर जाओ दूसरे दिन साधु उसके घर आए तब उसका पति भी घर पर ही था और नशे मे झूम रहा था साधु को देखकर वह क्रोध से घूरने लगा साधु ने प्यार से उसकी और देखा और बोले वत्स मैं एक काम से यहाँ आया हूँ क्या आदमी ने गुस्से से पूछा तब साधु बोले तुम्हारे घर मे एक भयंकर प्राणी छिपा बैठा है वह तुम्हारे घर को बर्बाद कर रहा है आदमी ने इधर उधर देखकर कहा यहाँ तो कोई नही है साधु दृढ़तापूर्वक बोले है वह तुम्हें दिखाई नही देगा पर वह हर घड़ी तुम्हारे सिर पर सवार रहता है आदमी ने सवाल किया कौन है वह साधु बोले वह शैतान है पर आज मैं उसे अपने साथ ले जाऊँगा उसके जाने के बाद तुम देखोगे कि तुम्हारा घर स्वर्ग बन गया है यदि तुम उसे नही ले जाने दोगे तो वह एक दिन तुम्हारे पूरे परिवार को तबाह कर देगा तुम्हारे घर मे एक देवी है शैतान के जाते ही तुम्हारे घर मे देवता आन बसेंगे और तुम्हारे घर मे सुख चैन का धाम बन जाएगा साधु के शब्दों मे जादू था आदमी को सामने शैतान नजर आने लगा वो जोर जोर से चिल्लाने लगा वो रहा वो रहा शैतान उसका भयंकर रूप देखकर उसने आँखें बंद कर ली साधु ने एक डब्बी निकाली और उसमें उस शैतान को बंद कर के आदमी से बोला की अब इस शैतान को अंदर मत आने देना आज तो मैं इसे बंद करके ले जा रहा हूँ पर ये फिर आ सकता है अगर फिर तुमने नशे के पास जाओगे तब वह आदमी बोला स्वामी जी आज के बाद मे कभी भी शराब को हाथ नही लगाऊगा उसके बाद साधु वहाँ से रवाना हुए इसके बाद आदमी ने अपनी और बच्चे से अब तक किए दुर्व्यवहार के लिए माफी माँगी उसके बाद उनका जीवन बदल गया उनके घर मे आनंद की वर्षा होने लगी ॥वन्दे मातरम् ॥ ॥जय माँ गंगा॥
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सनातन धर्म और ईश्वर में आस्था रखने वाला हर व्यक्ति देव उपासना के दौरान शास्त्रों, ग्रंथों में या भजन और कीर्तन के दौरान 'ॐ' महामंत्र को कई बार पढ़ता, सुनता या बोलता है। धर्मशास्त्रों में यही 'ॐ' प्रणव नाम से भी पुकारा गया है। असल में इस पवित्र अक्षर व नाम से गहरे अर्थ व दिव्य शक्तियां जुड़ीं हैं, जो अलग-अलग पुराणों और शास्त्रों में कई तरह से उजागर हैं।
खासतौर पर शिवपुराण में 'ॐ' के प्रणव नाम से जुड़ी शक्तियों, स्वरूप व प्रभाव के गहरे रहस्य बताए हैं। अगली तस्वीर पर क्लिक कर जानिए शिवपुराण के अलावा अन्य धर्मग्रंथों की मान्यता व विज्ञान के नजरिए से 'ॐ' बोलने के शुभ प्रभाव क्या हैं -
शिवपुराण में प्रणव यानी 'ॐ' के अलग-अलग शाब्दिक अर्थ, शक्ति और भाव बताए गए हैं। इनके मुताबिक- प्र यानी प्रपंच, न यानी नहीं और व: यानी तुम लोगों के लिए। सार यही है कि प्रणव मंत्र सांसारिक जीवन में प्रपंच यानी कलह और दु:ख दूर कर जीवन के सबसे अहम लक्ष्य यानी मोक्ष तक पहुंचा देता है। यही वजह है कि ॐ को प्रणव नाम से जाना जाता है।
दूसरे अर्थों में प्रनव को 'प्र' यानी यानी प्रकृति से बने संसार रूपी सागर को पार कराने वाली 'नव' यानी नाव बताया गया है।
इसी तरह ऋषि-मुनियों की दृष्टि से 'प्र' - प्रकर्षेण, 'न' - नयेत् और 'व:' युष्मान् मोक्षम् इति वा प्रणव: बताया गया है। इसका सरल शब्दों में मतलब है हर भक्त को शक्ति देकर जनम-मरण के बंधन से मुक्त करने वाला होने से यह प्रणव है।
- धार्मिक दृष्टि से परब्रह्म या महेश्वर स्वरूप भी नव या नया और पवित्र माना जाता है। प्रणव मंत्र से उपासक नया ज्ञान और शिव स्वरूप पा लेता है। इसलिए भी यह प्रणव कहा गया है।शिवपुराण की तरह अन्य हिन्दू धर्मशास्त्रों में भी प्रणव यानी ॐ ऐसा अक्षर स्वरूप साक्षात् ईश्वर माना जाता है और मंत्र भी। इसलिए यह एकाक्षर ब्रह्म भी कहलाता है। धार्मिक मान्यताओं में प्रणव मंत्र में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और शिव की सामूहिक शक्ति समाई है। यह गायत्री और वेद रूपी ज्ञान शक्ति का भी स्त्रोत माना गया है। आध्यात्मिक दर्शन है कि प्रणय यानी ॐ बोलने या ध्यान से शरीर, मन और विचारों पर शुभ प्रभाव होता है। वैज्ञानिक नजरिए से भी प्रणव मंत्र यानी ॐ बोलते वक्त पैदा हुई शब्द शक्ति और ऊर्जा के साथ शरीर के अंगों जैसे मुंह, नाक, गले और फेफड़ो से आने-जाने वाली शुद्ध वायु मानव शरीर के स्वास्थ्य के लिए जरूरी अनेक हार्मोन और खून के दबाव को नियंत्रित करती है।
इसके असर से मन-मस्तिष्क् शांत रहने के साथ ही खून के भी स्वच्छ होने से दिल भी सेहतमंद रहता है। जिससे मानसिक एकाग्रता व कार्य क्षमता बढ़ती है। व्यक्ति मानसिक और दिल की बीमारियों से मुक्त रहता है।इसी तरह देव पूजा-पाठ के दौरान आपने गौर किया होगा कि वैदिक, पौराणिक या बीज मंत्र सभी की शुरुआत ऊँकार से होती है। असल में, मंत्रों के आगे 'ॐ' लगाने के पीछे का रहस्य धर्मशास्त्रों में मिलता है। अगली स्लाइड्स पर जानिए –
शास्त्रों के मुताबिक पूरी प्रकृति तीन गुणों से बनी है। ये तीन गुण है - रज, सत और तम। वहीं 'ॐ' को एकाक्षर ब्रह्म माना गया है, जो पूरी प्रकृति की रचना, स्थिति और संहार का कारण है। इस तरह इन तीनों गुणों का ईश्वर 'ॐ' है। चूंकि भगवान गणेश भी परब्रह्म का ही स्वरूप हैं। उनके नाम का एक मतलब गणों के ईश ही नहीं गुणों का ईश भी है।
यही वजह है कि 'ॐ' को प्रणवाकार गणेश की मूर्ति भी माना गया है।
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श्रीगणेश मंगलमूर्ति होकर प्रथम पूजनीय देवता भी हैं। इसलिए 'ॐ' यानी प्रणव को श्री गणेश का प्रत्यक्ष रूप मानकर वेदमंत्रों के आगे विशेष रूप से लगाकर उच्चारण किया जाता है, जिसमें मंत्रों के आगे श्रीगणेश की प्रतिष्ठा, ध्यान और नाम जप का भाव होता है, जो पूरे संसार के लिए बहुत ही मंगलकारी, शुभ और शांति देने वाला होता है।
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