सिद्ध श्री खेमा बाबा का परिचय:-
संत पुरुष खेमा बाबा का आविर्भाव बायतु के
धारणा धोरा स्थित जाखड़ गोत्री जाट कानाराम के घर
फागुन बदी सोमवार संवत 1932 को हुआ.
आपकी माताजी बायतु चिमनजी के फताराम गूजर जाट
की पुत्री रूपा बाई थी.
जाखड़ जाट गाँव बायतु, घर काने अवतार!
धरा पवित्र धारणो , फागन छत सोमवार!!
बचपन में आप बाल-साथियों के साथ पशु चराने का काम
करते थे. आपका विवाह संवत 1958 (सन 1901) की आसोज
सुदी 8 शुक्रवार को नौसर गाँव में पीथाराम
माचरा की पुत्री वीरां देवी के साथ हुआ. आपके एक मात्र
पुत्री नेनीबाई पैदा हुई. खेमाराम का झुकाव प्रारंभ से
ही भक्ति की तरफ था. आप अकाल की स्थिति में दूर-दूर
तक गायें चराने जाया करते थे. इन्हें सिणधरी स्थित
गोयणा भाखर में एक साधू तपस्या करता मिला. इनसे आपने
बहुत कुछ सीखा तथा इनकी रूचि भक्ति की तरफ बढ़ गयी.
गूदड़ गद्दी के रामनाथ खेड़ापा से संवत 1961 में खेमसिद्ध
ने उपदेश लेकर दीक्षा ग्रहण की.
खेमा बाबा की चमत्कारिक शक्तियां:-
गोयणा भाखर सिणधरी में तपस्या करने के बाद बायतु
भीमजी स्थित धारणा धोरे पर भक्ति की. काला बाला व
सर्पों के देवता के रूप में कई पर्चे दिए तथा जनता के दुःख-
दर्द दूर किये. आपने अरणे का पान खिला कर अमर राम
का दमा ठीक किया. आज भी मान्यता है कि बायतु में
स्थित खेम सिद्ध के इस चमत्कारिक अरने का पान खाने से
दमा दूर हो जाता है. आपने अपने भक्त धोली डांग
(मालवा) निवासी श्रीचंद सेठ के पुत्र को जीवित किया.
सिणधरी व भाडखा में कोढियों की कोढ़ दूर की. सरणू
गाँव में गंगाराम रेबारी को गंगा तालाब बनाने का वचन
दिया. आपके परचे से गाँव भूंका में सूखी खेजड़ी हरी हो गयी.
भंवराराम सुथार लोहिड़ा, रतनाराम सियाग, चोखाराम
डूडी, रूपाराम लोल, जीया राम बेनीवाल, पुरखाराम
नेहरा सहित असंख्य भक्तों का दुःख दूर हुआ. जाहरपीर
गोगाजी, वीर तेजाजी, वभुतासिद्ध कि पीढ़ी के इस
चमत्कारिक संत कि आराधना मात्र से ही सर्प, बांडी,
बाला (नारू) रोग ठीक हो जाते हैं. खेमा बाबा ने गायों के
चरवाहे के रूप में जीवन प्रारंभ किया. शिव की भक्ति के
पुण्य प्रताप एवं गायों की अमर आशीष से देवता के रूप में
पूजनीय हो गए, जिनके नाम मात्र से ही सर्प का विष
उतर जाता है...!!
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