Thursday, 5 June 2014

नी मैं नचना मोहन दे नाल आज मैनु नच लेन दे

नी मैं नचना मोहन दे नाल आज मैनु नच लेन दे॥
, दुनिया तो मैं नचैया बथेरा, फिर भी ना कोई बनया मेरा
नी मैं की करना संसार आज मैनु नच लेन दे,
नी मैं नचना मोहन दे नाल आज मैनु नच लेन दे॥
, हुन मैं किसी कोलो नहीं डरना, जो मन आये सोईयो मैं करना
मेरा मुरली वाला यार, आज मैनु नच लेन दे॥
नी मैं नचना मोहन दे नाल आज मैनु नच लेन दे॥
, पैरा दे विच घुँघरू बनके, अपने श्याम दी जोगन बन के,,
अखां ला लईया उसदे नाल, आज मैनु नच लेन दे,
नी मैं नचना मोहन दे नाल आज मैनु नच लेन दे॥
, वृंदावन विच जावांगी मैं भी,वृंदावन विच जावांगी मैं भी,
प्यार मोहन दा पावगी मैं भी, प्यार मोहन दा पावगी मैं भी,
जग रुसजाये लख बार, आज मैनु नच लेन दे,
नी मैं नचना मोहन दे नाल आज मैनु नच लेन दे॥
राधा ऐसी भयी श्याम की दीवानी,
की बृज की कहानी हो गयी
एक भोली भाली गौण की ग्वालीन ,
तो पंडितों की वानी हो गई
राधा होती तो वृन्दावन भी होता
कान्हा तो होते बंसी भी होती,
बंसी मैं प्राण होते
प्रेम की भाषा जानता कोई
कनैया को योगी मानता कोई
बीन परिणय के देख प्रेम की पुजारीन
कान्हा की पटरानी हो गयी
राधा ऐसी भाई श्याम की
राधा की पायल बजती तो मोहन ऐसा रास रचाते
नीन्दीयाँ चुराकर , मधुवन बुलाकर
अंगुली पे कीसको नचाते
क्या ऐसी कुश्बू चन्दन मैं होती
क्या ऐसी मीश्री माखन मैं होती
थोडा सा माखन खिलाकर वोह ग्वालिन
अन्नपुर्ना सी दानी हो गयी
राधा ऐसी भाई श्याम की..........
राधा होती तो कुंज गली भी
ऐसी निराली होती
राधा के नैना रोते तो
जमुना ऐसी काली होती
सावन तो होता जुले होते
राधा के संग नटवर जुले ना होते
सारा जीवन लूटन के वोह भीखारन
धनिकों की राजधानी हो गयी
राधा ऐसी भाई श्याम की.........


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