हमारे आराध्य श्री कृष्ण भगवान ने गौ सेवा करते हुये जीवन व्यतीत किया।
गऊ माता के लिए ग्वाले बने...।
गऊ माता के लिए ग्वाले बने...।
कृष्ण जी कहते हैँ-
गावो मेँ ह्यग्रतः सन्तु गावो मेँ सन्तु पृष्ठतः ।
गावो मेँ हृदये सन्तु गवां मध्ये वसाम्यहम् ॥
गावो मेँ हृदये सन्तु गवां मध्ये वसाम्यहम् ॥
अर्थात् गायेँ मेरे आगे होँ, गायेँ मेरे पीछे होँ, गायेँ मेरे हृदय मेँ स्थित रहेँ और गायोँके बीच मेँ ही मैँ सदा निवास करुँ।
जब श्रीकृष्ण भगवान के लिये भी गाय माँ समान पूजनीय है,,,
तो आज हम कैसे अपनी गाय माता की दुर्दशा देखकर मुँह मोड़ लेते है...?
तो आज हम कैसे अपनी गाय माता की दुर्दशा देखकर मुँह मोड़ लेते है...?
हम श्री कृष्ण को पूजते हैँ तो उनकी पूजनीय गाय माता को कैसे उपेक्षित कर सकते है...?
देश मे हो रहे गौवध के विरुद्ध हम कृष्ण भक्तो का आह्वान करते है...।
गौ रक्षा के लिये एकजुट होईये-गौ पालन को बढ़ावा दीजिये।
जय श्री कृष्ण
जय गऊ माता।
जय गऊ माता।
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