ऐसी मस्ती कहाँ मिलेगी ,श्याम नाम रस
पी ले
तू मस्ती में जी ले ,रे बन्दे तू मस्ती में जी ले....
पी ले
तू मस्ती में जी ले ,रे बन्दे तू मस्ती में जी ले....
लख चौरासी भटक भटक कर मानुष
काया पायी
ऐसा फंसा जगत में आकर ,सुध बुध सब
बिसराई ,
अभी भी समय संभल बाँवरे ,बंधन कर ले ढीले
तू मस्ती में जी ले ,रे बन्दे तू मस्ती में जी ले......
काया पायी
ऐसा फंसा जगत में आकर ,सुध बुध सब
बिसराई ,
अभी भी समय संभल बाँवरे ,बंधन कर ले ढीले
तू मस्ती में जी ले ,रे बन्दे तू मस्ती में जी ले......
रितमय है नाम श्याम का ,सारे दोष
मिटा दे ,
अंधकार को दूर भगाए ,हिवडे में ज्योत
जलाये ,
अंतर्मुख हो बैठ चैन से ,नैंना कर ले गीले
तू मस्ती में जी ले ,रे बन्दे तू मस्ती में जी ले.......
मिटा दे ,
अंधकार को दूर भगाए ,हिवडे में ज्योत
जलाये ,
अंतर्मुख हो बैठ चैन से ,नैंना कर ले गीले
तू मस्ती में जी ले ,रे बन्दे तू मस्ती में जी ले.......
सांचा है दरबार श्याम का ,श्याम प्रभु है
रसीले .
तू मस्ती में जी ले ,रे बन्दे तू मस्ती में जी ले....
रसीले .
तू मस्ती में जी ले ,रे बन्दे तू मस्ती में जी ले....
No comments:
Post a Comment