Monday, 9 June 2014

कलयुग का सबसे चमत्कारी मंत्र गायत्री मंत्र

   ये है कलयुग का सबसे चमत्कारी मंत्र, जानिए इसका महत्व व खास उपाय
मंत्र जप ऐसा उपाय है, जिससे किसी भी प्रकार की समस्या को दूर किया जा सकता है। मंत्रों की शक्ति से सभी भलीभांति परिचित हैं। मनचाही वस्तु प्राप्ति और इच्छा पूर्ति के लिए मंत्र जप से अधिक अच्छा साधन कोई और नहीं है। धर्म ग्रंथों के अनुसार सभी मंत्रों में गायत्री मंत्र सबसे दिव्य और चमत्कारी है। इस मंत्र के जप से बहुत जल्द परिणाम प्राप्त होते हैं।

गायत्री मंत्र विद्या का प्रयोग भगवान की भक्ति, ब्रह्मज्ञान प्राप्ति, दैवीय कृपा प्राप्त करने के साथ ही सांसारिक एवं भौतिक सुख-सुविधाओं, धन प्राप्त करने की इच्छा के लिए भी किया जा सकता है। 
ये है गायत्री मंत्र:-

ऊँ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो : प्रचोदयात्। 

शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र को वेदों को सर्वश्रेष्ठ मंत्र बताया गया है। इस मंत्र जप के लिए तीन समय बताए गए हैं। इन तीन समय को संध्याकाल भी कहा जाता है। गायत्री मंत्र जप का पहला समय है प्रात:काल, सूर्योदय से थोड़ी देर पहले मंत्र जप शुरू किया जाना चाहिए। जप सूर्योदय के पश्चात तक करना चाहिए।

मंत्र जप के लिए दूसरा समय है दोपहर मध्यान्ह का। दोपहर में भी इस मंत्र का जप किया जाता है। इसके बाद तीसरा समय है शाम को सूर्यास्त के कुछ देर पहले मंत्र जप शुरू करके सूर्यास्त के कुछ देर बाद तक जप करना चाहिए। इन तीन समय के अतिरिक्त यदि गायत्री मंत्र का जप करना हो तो मौन रहकर या मानसिक रूप से जप करना चाहिए। मंत्र जप अधिक तेज आवाज में नहीं करना चाहिए।


गायत्री मंत्र का अर्थ: 

सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, वह परमात्मा का तेज हमारी बुद्धि को सद्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।

शास्त्रों में इसके जप की विधि विस्तृत रूप से दी गई है। इस मंत्र को जप करने के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करना श्रेष्ठ होता है। गायत्री मंत्र के जप से मन में उत्साह, विचारों में सकारात्मकता एवं त्वचा में चमक आती है। तामसिकता (बुरे कामों) से घृणा होती है, परमार्थ में रूचि जागती है। पूर्वाभास होने लगता है, आर्शीवाद देने की शक्ति बढ़ती है। नेत्रों में तेज आता है, स्वप्र सिद्धि प्राप्त होती है, क्रोध शांत होता है ज्ञान की वृद्धि होती है।


ये है कलयुग का सबसे चमत्कारी मंत्र, जानिए इसका महत्व व खास उपाय


















दरिद्रता नाश के लिए

यदि किसी व्यक्ति के व्यापार, नौकरी में हानि हो रही है या कार्य में सफलता नहीं मिलती
आमदनी कम है तथा व्यय अधिक है तो उन्हें गायत्री मंत्र का जप काफी फायदा पहुंचाता है। 
शुक्रवार को पीले वस्त्र पहनकर हाथी पर विराजमान गायत्री माता का ध्यान कर गायत्री मंत्र 
के आगे और पीछे श्रीं सम्पुट लगाकर जप करने से दरिद्रता का नाश होता है। इसके साथ ही 
रविवार को व्रत किया जाए तो ज्यादा लाभ होता है।


ये है कलयुग का सबसे चमत्कारी मंत्र, जानिए इसका महत्व व खास उपाय

















विवाह कार्य में देरी हो रही हो तो

यदि किसी भी जातक के विवाह में अनावश्यक देरी हो रही हो तो सोमवार की सुबह  पीले वस्त्र धारण कर माता पार्वती का ध्यान करते हुए ह्रीं बीज मंत्र का सम्पुट लगाकर एक सौ आठ बार जप करने से विवाह कार्य में आने वाली समस्त बाधाएं दूर होती हैं। यह साधना स्त्री पुरुष दोनों कर सकते हैं।


विद्यार्थियों के लिए

गायत्री मंत्र का जप सभी के लिए उपयोगी है किंतु विद्यार्थियों के लिए तो यह मंत्र बहुत लाभदायक है। रोजाना इस मंत्र का एक सौ आठ बार जप करने से विद्यार्थी को सभी प्रकार की विद्या प्राप्त करने में आसानी होती है। विद्यार्थियों को पढऩे में मन नहीं लगना, याद किया हुआ भूल जाना, शीघ्रता से याद होना आदि समस्याओं से निजात मिल जाती है।

शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए

यदि कोई व्यक्ति शत्रुओं के कारण परेशानियां झेल रहा हो तो उसे प्रतिदिन या विशेषकर 
मंगलवार, अमावस्या अथवा रविवार को लाल वस्त्र पहनकर माता दुर्गा का ध्यान करते हुए 
गायत्री मंत्र के आगे एवं पीछे क्लीं बीज मंत्र का तीन बार सम्पुट लगाकर एक सौ आठ बार 
जप करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। मित्रों में सद्भाव, परिवार में एकता होती है तथा 
न्यायालयों आदि कार्यों में भी विजय प्राप्त होती है।
 

यदि किसी रोग के कारण परेशानियां हो तो

यदि किसी रोग से परेशान हैं और रोग से मुक्ति जल्दी चाहते हैं तो किसी भी शुभ मुहूर्त में 
एक कांसे के पात्र (बर्तन) में स्वच्छ जल भरकर रख लें एवं उसके सामने लाल आसन पर 
बैठकर गायत्री मंत्र के साथ ऐं ह्रीं क्लीं का संपुट लगाकर गायत्री मंत्र का जप करें। जप के 
पश्चात कांसे के बर्तन के पानी का सेवन करने से गंभीर से गंभीर रोग का नाश होता है। यही 
जल किसी अन्य रोगी को पीने देने से उसके भी रोग का नाश होता है।

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उपाय

जो भी व्यक्ति जीवन की समस्याओं से बहुत त्रस्त है यदि वह यह उपाय करे तो उसकी 
समस्याएं समाप्त हो जाएंगी। उपाय इस प्रकार है पीपल, शमी, वट, गूलर, पाकर की 
समिधाएं 
लेकर एक बर्तन में कच्चा दूध भरकर रख लें एवं उस दूध के सामने एक हजार गायत्री मंत्र का 
जप करें। इसके बाद एक-एक समिधा को दूध में छुआकर गायत्री मंत्र का जप करते हुए अग्रि 
में होम करने से समस्त परेशानियों एवं दरिद्रता से मुक्ति मिल जाती है।

           ये है कलयुग का सबसे चमत्कारी मंत्र, जानिए इसका महत्व व खास उपाय  

उपाय

किसी भी शुभ मुहूर्त में दूध, दही, घी एवं शहद को मिलाकर एक हजार गायत्री मंत्र के साथ हवन करने से चेचक, आंखों के रोग एवं पेट के रोग समाप्त हो जाते हैं। इसमें समिधाएं पीपल की होना चाहिए। गायत्री मंत्र के साथ नारियल का बुरा एवं घी का हवन करने से शत्रुओं का नाश हो जाता है। नारियल के बुरे में यदि शहद का प्रयोग किया जाए तो सौभाग्य में वृद्धि होती है।
  




































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