Friday 6 June 2014

गुलाब

गुलाब 
गुलाब की सुन्दरता के कारण से गुलाब को फूलों का राजा कहा जाता है | इसका मूल उत्पत्तिस्थान सीरिया है | लेकिन यह भारत में भी प्रायः सर्वत्र बग़ीचों तथा घरों में कलम बनाकर लगाया जाता है | इसके अतिरिक्त समस्त भारत में मुख्यतः उत्तर-प्रदेश , मध्य-प्रदेश तथा गुजरात में इसकी खेती की जाती है | देशी गुलाब लाल रंग का होता है , गुलाब द्वारा बने जाने वाले दो पदार्थ अधिक प्रसिद्ध हैं एक तो गुलकंद और दूसरा गुलाबजल | पुष्प के रंगों के आधार पर इसके कई प्रजातियां होती हैं | 
गुलाबी संग का गुलाब का फूल अधिक मात्रा में होता है तथा इसके अलावा गुलाब के फूल सफ़ेद और पीले रंग के भी होते हैं ,इसके फूलों का इत्र भी बनता है | गुलाब की प्रकृति ठंडी होती है | 
आयुर्वेद में गुलाब के गुणों की चर्चा अधिक की जाती है क्योँकि इसके उपयोग से कई प्रकार के रोग ठीक हो सकते हैं | 
- यह वात -पित्त को नष्ट करता है,यह शरीर की जलन , अधिक प्यास तथा कब्ज़ को भी नष्ट करता है | 
- गुलाब में विटामिन सी बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है | गर्मी के मौसम में इसके फूलों को पीसकर शरबत में मिलाकर पीना बहुत लाभकारी होता है तथा इसको पीने से ह्रदय मस्तिष्क को शक्ति मिलती है |
- अतिसार (दस्त ) होने पर १० ग्राम गुलाब के फूल की पत्ती को ०५ ग्राम मिश्री मिलाकर दिन में बार खाने से लाभ होता है |
- दो चम्मच गुलकन्द रात को सोते समय गुनगुने दूध या पानी के साथ सेवन करने से कब्ज़ पूरी तरह से नष्ट हो जाती है | गुलकन्द से पेट की गर्मी भी शांत होती है |
- गुलाब के फूलों की पंखुड़ियाँ चबाकर खाने से मसूड़े और दांत मज़बूत होते हैं | इसके सेवन से मुंह की बदबू दूर होकर पायरिया की बीमारी ठीक हो जाती है |
- गुलाब के फूलों का निकाला हुआ ताज़ा रस कानों में डालने से कान का दर्द ठीक होता है |
- हैज़ा होने पर आधा कप गुलाबजल में एक निम्बू निचोड़कर उसमें थोड़ी-सी मिश्री मिला लें और - घंटे के अंतर पर इसे रोगी को पिलायें , इससे हैजे में लाभ होता है |
- निम्बू का रस गुलाब का रस बराबर मात्रा में लेकर मिला लें | इस रस को प्रतिदिन दाद पर लगाने से लाभ होता है |


गुलाब 
गुलाब की सुन्दरता के कारण  से गुलाब को फूलों का राजा कहा  जाता है | इसका मूल उत्पत्तिस्थान सीरिया है | लेकिन यह भारत में भी प्रायः सर्वत्र बग़ीचों तथा घरों में कलम बनाकर लगाया जाता है | इसके अतिरिक्त समस्त भारत में मुख्यतः उत्तर-प्रदेश , मध्य-प्रदेश तथा गुजरात में इसकी खेती की जाती है | देशी गुलाब  लाल रंग का होता है , गुलाब द्वारा बने जाने वाले दो पदार्थ अधिक प्रसिद्ध हैं एक तो गुलकंद और दूसरा गुलाबजल | पुष्प के रंगों के आधार पर इसके कई प्रजातियां होती हैं | 
   गुलाबी संग का गुलाब का फूल अधिक मात्रा में होता है तथा इसके अलावा गुलाब के फूल सफ़ेद और पीले रंग के भी होते हैं ,इसके फूलों का इत्र भी बनता है | गुलाब की प्रकृति ठंडी होती है | 
आयुर्वेद में गुलाब के गुणों की चर्चा अधिक की जाती है क्योँकि इसके उपयोग से कई प्रकार के रोग ठीक हो सकते हैं | 
१- यह वात -पित्त को नष्ट करता है,यह शरीर की जलन , अधिक प्यास तथा कब्ज़ को भी नष्ट करता है | 
२- गुलाब में विटामिन सी बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है | गर्मी के मौसम में इसके फूलों को पीसकर शरबत में मिलाकर पीना बहुत लाभकारी होता है तथा  इसको पीने से ह्रदय व मस्तिष्क को शक्ति मिलती है | 

३- अतिसार (दस्त ) होने पर १० ग्राम गुलाब के फूल की पत्ती को ०५ ग्राम मिश्री मिलाकर दिन में ३ बार खाने से लाभ होता है | 

४- दो चम्मच गुलकन्द रात को सोते समय गुनगुने दूध या पानी के साथ सेवन करने से कब्ज़ पूरी तरह से नष्ट हो जाती है | गुलकन्द से पेट की गर्मी भी शांत  होती है | 

५- गुलाब के फूलों की पंखुड़ियाँ चबाकर खाने से मसूड़े और दांत मज़बूत होते हैं | इसके सेवन से मुंह की बदबू दूर होकर पायरिया की बीमारी ठीक हो जाती है | 

६- गुलाब के फूलों का निकाला हुआ ताज़ा रस कानों में डालने से कान का दर्द ठीक होता है | 

७- हैज़ा होने पर आधा कप गुलाबजल में एक निम्बू निचोड़कर उसमें थोड़ी-सी मिश्री मिला लें और ३-३ घंटे के अंतर पर इसे रोगी को पिलायें , इससे हैजे में लाभ होता है | 

८- निम्बू का रस व गुलाब का रस बराबर मात्रा में लेकर मिला लें | इस रस को प्रतिदिन दाद पर लगाने से लाभ होता है |

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