Thursday 10 April 2014

क्यों होता है कोई असफल, जानिए प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथ में बताई 1 खास वजह

क्यों होता है कोई असफल, जानिए प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथ में बताई 1 खास वजह

दुनिया का हर धर्म जिंदगी को सुखी, शांत, अनुशासित और संयम से जीने की राह बताता है, रोजमर्रा की ज़िंदगी में अक्सर नजर आता है कि कई लोग धर्म की बातें तो करते हैं, लेकिन उनके कर्मों पर अधर्म का साया हावी होता है। यहां तक कि ऐसे लोग खुद प्रेम, सच्चाई, भलाई या अच्छाई के सबक सीखने या सुनने में रुचि नहीं लेते, किंतु दूसरों को धर्म की बातें अपनाने की सीख देने से नहीं चूकते। वहीं, कुछ लोग सबकुछ जानकर भी मजबूरी या मतलब की वजह से सही बातों को नजरअंदाज करते हैं।

सीधे शब्दों में कहें तो ऐसे लोगों से धर्म की बात करना कलह, अशांति या विवाद की वजह बन मेहनत सफलता के सपनों पर पानी भी फेरने वाली हो सकती हैं। खासकर वे लोग जो स्वभाव आदतों से ही बुरे होते हैं।

हिन्दू धर्मग्रंथ महाभारत में गलत स्वभाव आदतों से किसी किसी तरह से घिरे ऐसे ही 10 धर्म विरोधी लोगों से दूर रहने या संगत करने की सीख दी गई है, जो बार-बार असफलता की सबसे बड़ी वजह भी बन जाते हैं। जानिए कामयाबी पाने के लिए किन दस लोगों के संग से यथासंभव दूर ही रहें– 


                               क्यों होता है कोई असफल, जानिए प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथ में बताई 1 खास वजह

नशेड़ीनशा बुद्धि और विवेक पर हावी हो जाता है। यानी नशेड़ी अच्छाई या बुराई के फर्क की समझ खो देता है। ऐसे व्यक्ति या उसका संग कई तरह से दु:, परेशानियों से घिरना लक्ष्य से भटकाव तय कर देता है।
 
क्रोधी- धर्म के नजरिए से क्रोध सारे पापों की जड़ माना गया है। व्यावहारिक तौर पर आवेश या गुस्सा बनते कामों को बिगाड़ उपेक्षा, तिरस्कार और असहयोग की वजह बनता है।
 
लापरवाहनिष्ठा, लगन समर्पण रखने वाला व्यक्ति निश्चित रूप से असफलता का कारण बनता है। ऐसे व्यक्ति की संगत भी छवि बिगाड़ने वाली अपयश देने वाली ही साबित होती है।
 
कामीहर तरह से सुख-सुविधाओं को भोगने की चाहत रखने वाले व्यक्ति का साथ आखिरकार चरित्र, व्यक्तित्व कामयाबी को केवल दागदार बना सकता है, बल्कि तमाम उम्र अपयश की वजह बन सकता है।
 
डरपोककिसी भी तरह से डरा हुआ इंसान या तो गलत बात का सामना करने से बचता है या सही बात को नजरअंदाज करता है, जो आखिरकार उसके साथ, उसके संगी या साथी के दु: नाकामी की भी वजह बनता है।


                            क्यों होता है कोई असफल, जानिए प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथ में बताई 1 खास वजह

लालची या लोभी- धर्म के नजरिए से लोभ ऐसा दोष है, जो मन, विचार और व्यवहार को बिगाड़ देता है। ज़िंदगी में किसी भी तरह के लक्ष्य को पाने में सफलता के नजरिए से ऐसे लोग भरोसेमंद मददगार नहीं होते।

जल्दबाजी करने वाला- जल्दबाजी से व्यक्ति योजना के मुताबिक धैर्य, संयम, अनुशासन और एकाग्रता कायम नहीं रख पाता। ऐसे उतावले या व्यग्र लोगों का संग कर किसी भी लक्ष्य को पाने की कोशिश करना आखिरकार असफलता की वजह बनती है।

थका हुआ- व्यावहारिक तौर पर ज्यादा थका हुआ इंसान किसी खास लक्ष्य को पूरा करने में कमजोरी साबित होता है।
 
पागल- अपना हो या पराया मानसिक रूप से असंतुलित व्यक्ति से नजदीक होने पर असावधानी शारीरिक, मानसिक आर्थिक नुकसान का कारण बन सुख-सफलता में देरी या अड़चन बन सकती है।
 
भूखा- पेट की भूख भी इंसान के बुरे काम करने पर मजबूर करती है। ऐसे में वक्त हालात की वजह से भूखा इंसान भी अनैतिक गलत कदम उठाकर जान-माल का नुकसान कर सफलता के रास्ते में रोड़ा बन सकता है।
 
व्यावहारिक तौर पर ऐसे लोग मजबूरी, स्वार्थ या स्वाभाविक दोषों के कारण अच्छाई को नकारते हैं, इसलिए सफलता के लिए सकारात्मक सोच व्यक्तियों को अपनाकर लक्ष्यों को साधने की हर संभव कोशिश से नहीं चूकना चाहिए। 

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