Thursday 17 April 2014

आपकी भी शादी भगवान के साथ में हो सकती है, लेकिन करना क्या चाहिए

आज का सद्चिंतन
मित्रो ! एक बार लैला ने मजनूँ की परीक्षा लेनी चाही और जानना चाहा कि मजनूँ कैसा है? पहले तो उसने ऐसा इंतजाम कर दिया कि उसको कुछ पैसे मिल जाया करें, दुकानदारों से खाने को मिल जाया करे। फिर उसने सोचा, ऐसा तो नहीं कि वह हरामखोर हो और फोकट का खा रहा हो। उसने अपनी बाँदी से यह कहला भेजा कि लैला बहुत बीमार है। सुनकर मजनूँ बड़ा दु:खी हुआ। बाँदी ने कहा- दु:खी होने से क्या फायदा? आप कुछ मदद कीजिए उनकी। उसने कहा- लैला को हम बहुत प्यार करते हैं। प्यार करते हो तो कुछ दीजिए न। मजनूँ ने कहा- मैं क्या दूँ? बाँदी ने कहा- डॉक्टरों ने यह कहा है कि लैला की नसों में खून का एक प्याला चढ़ाया जाएगा, आप अपना खून देंगे क्या, जिससे कि लैला की जिन्दगी बचायी जा सके। मजनूँ फौरन तैयार हो गया। उसने जो कटोरा बाँदी लेकर आयी थी, खून से लबालब भर दिया। बाँदी जब खून लेकर चली, तब उसने बाँदी से एक और बात कही- बाँदी जल्दी आना, अभी कई कटोरे खून मेरे शरीर में है। वह मैं उसके सुपुर्द करूँगा, क्योंकि उससे मैं मुहब्बत करता हूँ और मुहब्बत का मतलब होता है- देना। बाँदी जब एक कटोरा खून लेकर के गयी, तो नकली मजनूँ जो थे, सब भगा दिए गये। लैला ने अपने बाप से कह दिया- जो मुझसे इतनी मुहब्बत करता है और जो मुहब्बत की कीमत को समझता है, उसके ही साथ मैं रहूँगी। लैला और मजनूँ की शादी हो गई।
आपकी भी शादी भगवान के साथ में हो सकती है, लेकिन करना क्या चाहिए? सिर्फ एक बात करनी चाहिए कि भगवान की मर्जी पर चलने के लिए आप आमादा हो जाइए। भगवान जो आपसे चाहते हैं, उसको कीजिए। आपका चाहना भी ठीक है, लेकिन आप जो चाहते हैं, उससे पहले बहुत कुछ दे दिया है भगवान ने। आपको इनसान की जिन्दगी दी है और ऐसी जिन्दगी दी है कि आप अपनी मनमर्जी पूरी कर सकते हैं। मनमर्जी के लिए कोई कमी नहीं है। आपके हाथ कितने बड़े हैं, आपकी जुबान और आँखें कितनी शानदार हैं, इसमें आप संतोष कर सकते हैं। अपनी दैनिक जरूरतों की भगवान से अपेक्षा मत कीजिए। आप अपनी हविश, अपनी तमन्नाओं, इच्छाओं, महत्त्वाकाँक्षाओं को पूरा करने के लिए भगवान को मजबूर करेंगे कि कर्तव्य की बात को छोड़कर वह पक्षपात करने लगे और कर्मफल की महत्ता का परित्याग कर दे? आप ऐसा मत कीजिए, उनको न्यायाधीश रहने दीजिए।
आप अपने घिनौने चिन्तन को बदल दीजिए, अपने छोटे दृष्टिकोण को परिवर्तित कर दीजिए, लोभ और लालच से बाज आइए और भगवान की सुन्दर दुनिया को ऊँचा बनाने के लिए, शानदार बनाने के लिए राजकुमार के तरीके से कमर बाँधकर खड़े हो जाइए। आप समर्पित हो जाइए, शरणागति में आइए, विराजिए, विसर्जन कीजिए, फिर देखिए आप क्या पाते हैं? आज मुझे यही निवेदन करना था आप लोगों से ।।



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