Tuesday, 29 April 2014

राम दुबारा मत आना, अब यहाँ लखन हनुमान नही,,,,,

राम दुबारा मत आना, अब यहाँ लखन हनुमान नही,,,,,
90
करोड़ इन मुर्दों मे, अब बची किसी के जान नही,,,,,
भाई भाई के चक्कर मे अब, अपनी बहनो का ज्ञान नही,,,,,,
हम कैसे कह दें कि हिंदू अब, तुर्कों की संतान सभी,,,,,,,,
इतिहास भी रो कर शांत हो गया, भगवा पर अभिमान नही,,,,,,,,
अब याद इन्हे बस अकबर है, राणा का बलिदान नही,,,,,,
हल्दी घाटी सुनसान हो गयी, चेतक का तूफान नही,,,,,,
हिंदू भी होने लगे दफ़न, अब जलने को शमशान नही,,,,,,,
बहनो की चीखें गूँज रही, सनातन का सम्मान नही,,,,,,,,
गैर धर्म ही इनके सब कुछ हैं, अब महादेव भगवान नही,,,
हे राम दुबारा मत आना, अब यहाँ लखन हनुमान नही,,,
खुले आम कटती है गौ यहाँ, हिन्दू नाम का कोई इंसान नहीं,,,
हे कृष्णा दुबारा मत आना, अब यहाँ लखन हनुमान नही,,





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