हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश को प्रसन्न करने के लिए विनायकी चतुर्थी व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 3 अप्रैल, गुरुवार को है। इस दिन भगवान श्रीगणेश का पूजन करने का विधान है। धर्म ग्रंथों के अनुसार ये व्रत करने से भगवान श्रीगणेश अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। विनायकी चतुर्थी का व्रत इस प्रकार करें-
व्रत विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि काम जल्दी ही निपटा लें।
- दोपहर के समय अपने सामथ्र्य के अनुसार सोने, चांदी, तांबे, पीतल या मिट्टी से बनी भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
- संकल्प मंत्र के बाद श्रीगणेश की षोडशोपचार पूजन-आरती करें। गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं। गणेश मंत्र (ऊँ गं गणपतयै नम:) बोलते हुए 21 दूर्वा दल चढ़ाएं।
- गुड़ या बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास रख दें तथा 5 ब्राह्मण को दान कर दें। शेष लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें।
- पूजा में श्रीगणेश स्त्रोत, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक स्त्रोत आदि का पाठ करें।
- ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा देने के बाद संध्या के समय स्वयं भोजन ग्रहण करें। संभव हो तो उपवास करें।
व्रत का आस्था और श्रद्धा से पालन करने पर भगवान श्रीगणेश की कृपा से सभी मनोरथ पूरे होते हैं और जीवन में निरंतर सफलता प्राप्त होती है।
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