Saturday, 19 April 2014

राधे राधे श्याम मिलादे

एक किसान की एक दिन अपने पड़ोसी से
खूब जमकर लड़ाई हुई। बाद में जब उसे
अपनी गलती का अहसास हुआ, तो उसे ख़ुद
पर शर्म आई। वह इतना शर्मसार हुआ कि एक
साधु के पास पहुँचा और पूछा, ‘‘मैं
अपनी गलती का प्रायश्चित
करना चाहता हूँ।’’ साधु ने
कहा कि पंखों से भरा एक थैला लाओ और
उसे शहर के बीचों-बीच उड़ा दो।
किसान ने ठीक वैसा ही किया,
जैसा कि साधु ने उससे कहा था और फिर
साधु के पास लौट आया। लौटने पर साधु
ने उससे कहा, ‘‘अब जाओ और जितने भी पंख
उड़े हैं उन्हें बटोर कर थैले में भर लाओ।’’
नादान किसान जब वैसा करने
पहुँचा तो उसे मालूम हुआ कि यह काम
मुश्किल नहीं बल्कि असंभव है। खैर,
खाली थैला ले, वह वापस साधु के पास
गया। यह देख साधु ने उससे कहा,
‘‘
ऐसा ही मुँह से निकले शब्दों के साथ
भी होता है।’’
राधे राधे श्याम मिलादे ..


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