श्रीहनुमान के चरित्र उजागर करता है कि किस तरह गुण व शक्तियों के बूते हर स्थिति, स्थान और संबंधों को अनुकूल बना लिया जाए। खासकर रिश्तों और घर-परिवार को अटूट रखने के लिए श्रीहनुमान चरित्र में मौजूद अपनत्व का विलक्षण भाव बड़ा ही प्रेरणादायी है।
श्रीहनुमान ने अपनेपन के भाव से ही जहां एक ओर प्रभु राम की कृपा पाई, तो वहीं माता सीता से अचूक सिद्धियां व अनमोल निधियां भी। आस्था है कि श्रीहनुमान का यही अपनत्व भक्तों पर भी कृपा के रूप में बरसता है।
इस तरह पवनपुत्र हनुमान के इस गुण से सीख यही मिलती है कि रिश्तों व घर-परिवार को बचाना हो या जीवन में मुसीबतों को पछाडऩा, हर स्थिति में हालात से मुंह मोडऩे या रिश्तों से अलगाव के बजाए अपनेपन यानी तालमेल, प्रेम व जुड़ाव के सूत्र को अपनाएं, क्योंकि जुड़ाव वक्त लेकर भी लंबा सुख और सफलता देने वाला होता है।
मंगलमूर्ति श्रीहनुमान का ध्यान जीवन को मंगलमय बनाने के लिए बहुत ही शुभ माना गया है। श्रीहनुमान का ध्यान ग्रह, मन, कर्म व विचारों के दोषों का शमन कर सुख-सफलता देने वाला माना गया है। इसके लिए हनुमान के विशेष मंत्र स्तुति का ध्यान का महत्व हैं। जानिए यह मंत्र-
-मंगलवार या हर शाम स्नान के बाद हनुमान मंदिर या घर के देवालय में हनुमानजी को यथाशक्ति सिंदूर, गंध, अक्षत, फूल, नैवेद्य, नारियल अर्पित कर गुग्गल धूप व दीप जलाकर नीचे लिखे मंत्र द्वारा संकटमोचन की कामना से हनुमान वंदना करें-
य: प्राणवायुजनितो गिरिशस्य शान्त: शिष्योपि गौतमगुरुर्मुनिशंकरात्मा।
हृद्यो हरस्य हरिवद्भरितां गतोपि धीधैर्यशास्त्रविभवे तुलमाश्रये तम्।।
हृद्यो हरस्य हरिवद्भरितां गतोपि धीधैर्यशास्त्रविभवे तुलमाश्रये तम्।।
- हनुमान आरती करें और प्रसाद ग्रहण कर हनुमान के चरणों का सिंदूर मस्तक और घर के प्रवेश द्वार के ऊपरी हिस्से पर लगाएं। माना जाता है कि इससे घर-परिवार की विपदा और संकट से रक्षा होती है।
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