बोल, कर्म और व्यवहार के गुण-दोष व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और व्यावहारिक जीवन पर असर डालते हैं, जिससे रिश्ते बनते और बिगड़ते हैं, खान-पान या व्यवहार में भी बदलाव आता है। इससे व्यक्ति कुछ वस्तु या व्यक्तियों को पसंद या नापसंद करने लगता है। वहीं, जड़ रूप में नजर आने वाला धन, जो लक्ष्मी का साक्षात् स्वरूप माना जाकर द्रव्य लक्ष्मी भी पुकारा जाता है, को कोई भी व्यक्ति पाकर चैतन्य हो जाता है। कोई भी इंसान इसे हमेशा पसंद करता है और हर स्थिति में उसका साथ चाहता है, किंतु महालक्ष्मी कैसे व्यक्ति व स्थान को को पसंद या नापसंद करता है, यह बात कई लोग नहीं जानते।
दरअसल धर्मशास्त्रों और व्यवहारिक नजरिए से धन जीवन में सुखों को पाने का जरिया है। धन जीवन, यश, सम्मान और स्वास्थ्य को बढ़ाने और कायम रखने वाला होता है, लेकिन हिन्दू धर्मग्रंथों में बताया गया है कि व्यक्ति या घर में लक्ष्मी को लाने और बनाए रखने के लिए कुछ बातें बहुत अहम हैं।
हिन्दू धर्मशास्त्रों में लिखी यह बात इस ओर संकेत करती है कि लक्ष्मी किस व्यक्ति व स्थान पर कृपा करती है। लिखा गया है कि-
“भव क्रियापरो नित्यम्।“
जिसका सरल शब्दों में मतलब है कि व्यक्ति को हमेशा कर्म यानी मेहनत, सेवा या काम करते रहना चाहिए, क्योंकि धन पाना या कमाना बिना कार्य के संभव नहीं। यहां तक कि अगर किसी कारण से धन हानि भी हो जाए तो मेहनत या उद्योग द्वारा फिर से पाया जा सकता है।
यही नहीं शरीर, मन और विचारों की पवित्रता से घर-परिवार का वातावरण स्वच्छ बनाए, क्योंकि बुरे कामों से लाया गया धन या आलस्य घर के माहौल में अशांति और कलह पैदा करता है, जो शास्त्रों के मुताबिक लक्ष्मी को नापसंद है।
व्यावहारिक तौर पर कोई भी इंसान धन कमाने और बढ़ाने के लिए कई तरीकों के बारे में सोचता व कुछ अपनाता भी है। इन कोशिशो में वह कभी सफल होता है तो कभी असफल भी। इसी कड़ी में अगर धार्मिक उपायों की बात करें शास्त्रों में धन पाने के ही कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं, जो धन के साथ-साथ हमेशा सुख, शांति और प्रतिष्ठा भी बढ़ाते हैं। हिन्दू धर्म में धन, सुख, ऐश्वर्य पाने के लिए शक्तिरूपा महालक्ष्मी पूजनीय है। हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक देवी लक्ष्मी ने स्वयं ऐसे 3 काम बताए हैं, जो किसी भी व्यक्ति को मालामाल बना सकते हैं।
दरअसल, हिन्दू धर्मशास्त्रों के मुताबिक पावनता ही वह सूत्र है, जो मां लक्ष्मी को हमेशा खुश रखता है। इसके लिए दरिद्रता यानी मन, वचन, कर्म में बुराइयों से दूर रहकर साफ-सुथरी सोच, व्यवहार व मेहनत से पैसा कमाने की अहमियत बताई गई है, क्योंकि ऐसा धन ही यश, सम्मान और निरोगी जीवन देने वाला माना गया है।
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक स्वयं देवी लक्ष्मी द्वारा ऐसे ही 3 काम या उपाय बताए गए हैं, जो धन कमाना और बढ़ाना आसान बनाते हैं। आधुनिक दौर में खास तौर पर आज के नौजवानों को तो ये बहुत ही खुशहाल बनाने वाले साबित हो सकते हैं। इसी संबंध में धर्मशास्त्र कहते हैं कि-
धनमस्तीति वाणिज्यं किंचिस्तीति कर्षणम्।
सेवा न किंचिदस्तीति भिक्षा नैव च नैव च।।
सरल शब्दों में मतलब है कि अगर धन हो तो कारोबार करें। कम पैसा हो तो कृषि कार्य यानी खेती से जुड़े काम करें। अगर धन न हो तो कोई नौकरी करना ही बेहतर है। किंतु किसी भी हालात में धन पाने के लिए किसी के सामने भिक्षा न मांगे।
दरअसल, व्यावहारिक रूप से इन बातों में संकेत यही है कि हर इंसान को आलस्य और बुरे कामों से दूर हो मेहनत, संकल्प और समर्पण के साथ धन कमाने और बढ़ाने की हरसंभव कोशिश करना चाहिए।
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