जीवन को सुख, शांति और सफलता के साये में गुजारने के लिए दो सूत्र बेहद कारगर होते हैं। पहला- अच्छे नतीजों के लिए बेहतर कोशिशें और दूसरा- असफलताओं से सबक लेकर कमियों की भरपाई करना।
कई लोग अक्सर अपेक्षाओं के दबाव, महात्वाकांक्षा या सफलता की व्यग्रता में बार-बार कमजोरियों को अनदेखा कर असफलता से दो-चार होते हैं। सही सोच, तरीकों या कोशिशों के ऐसे अभाव से मनचाहे सुख-सफलता पाने में बाधा ही नहीं आती, बल्कि इनको बटोरने में होने वाली देरी कुंठा पैदा करती है।
हिन्दू धर्मग्रंथ मनुस्मृति में इंसान के लिए ऐसे दोष और बुराइयों से बचने के लिए 5 खास बातें उजागर की गई हैं, जिनको हर रोज भी अपनाएं, तो कोई भी व्यक्ति पूरा जीवन सुख, शांति व सफलता के साथ गुजार सकता है। मनुस्मृति में उजागर है कि-
अहिंसा सत्यमस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह:।
एतं सामासिकं धर्मं चातुर्वर्ण्येब्रवीन्मनु:।।
इसे सरल शब्दों में जानें तो जीवन में बुरे समय और परिणामों से बचने के लिए पांच बातों को मन, वचन, कर्म से जोडऩा बेहद जरूरी हैं। ये 5 सूत्र ताउम्र संकल्पित, अनुशासित व संयमित रख यश व सफलता देने वाले बताए गए हैं।
मनुस्मृति में बताए इन 5 कामों का ध्यान रख दिनचर्या व जीवनशैली को साधना दिन-ब-दिन सफलता व यश को बढ़ाने वाला होता है-
हिंसा से बचें- मनुस्मृति के मुताबिक शरीर पर आघात ही नहीं, बल्कि बुरे शब्द या विचार भी हिंसा हैं, जो जीवन को अशांति व कलह से भरकर बुरे नतीजों की वजह बनते हैं।
सच बोलें- सत्य बोल और व्यवहार ऐसा सूत्र है, जिससे किसी भी वक्त, किसी भी जगह इंसान भरोसा, पद या सम्मान पाता ही है।
चोरी से बचें– केवल धन ही नहीं किसी के जीवन, मान-सम्मान, विचार से जुड़े विषय या वस्तुओं पर अपने लाभ के लिए अधिकार या उनका अपहरण भी धर्म के नजरिए से चोरी है, जो दु:खों का कारण बनती है। मनुस्मृति की इस बात में सबक यही है कि सुख-सफलता के लिए ऐसी चोरी नहीं, बल्कि पुरुषार्थ ही वास्तविक व लंबे वक्त तक शांति व सुख पाने का सूत्र है।
स्वच्छता रखें- मन व शरीर में पवित्रता शांत, सुखी व स्वस्थ्य जीवन के लिए जरूरी है, क्योंकि स्वच्छ विचार व निरोगी शरीर अच्छे कामों को करने की भरपूर ऊर्जा व प्रेरणा देते हैं। इससे कोई भी लक्ष्य सही वक्त पर पूरा कर सुखी व यशस्वी जीवन जीने की चाहत पूरी की जा सकती है।
संयम रखें- इंद्रिय संयम सरल शब्दों में कहें तो शौक, मौज, विलासिता से भरे जीवन के आकर्षण में तन और मन को भटकाने से अंतत: जीवन रोग, दु:ख और पीड़ाओं से घिर जाता है, इसलिए मन और शरीर की इच्छाओं को काबू में रखें।
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