हिन्दू धर्म में पौराणिक प्रसंग उजागर करते हैं कि चाहे समुद्र मंथन से निकले हलाहल यानी कालकूट विष को पीने की बात हो या स्वर्ग से उतरी देव नदी गंगा के वेग को थामने के लिए उसे अपनी जटाओं में स्थान देने की बात, शिव ने संसार के संकटों को कल्याण भाव से हर लिया। इस वजह से भी 'हर' नाम से पूजनीय भगवान शिव की पूजा से जुड़ी धार्मिक आस्था है कि महादेव भक्त की पुकार पर उसकी सभी कष्ट व पीड़ाओं को हर यानी हरण कर लेते हैं।
वेद-पुराणों में शिव की ऐसी ही असीम महिमा की वजह से सांसारिक जीवन में भी हर परेशानियों से मुक्ति या कामनासिद्धि के लिए शिव ध्यान किसी भी मुश्किल वक्त में बहुत ही मंगलकारी बताया गया है।
हर शाम या शिव भक्ति की सभी मंगल घड़ियों में अगर नीचे लिखे सरल मंत्र से शिवलिंग की सामान्य पूजा या स्मरण भी करें, तो यह पीड़ा व कष्टों से जल्द निजात दिलाने वाला अचूक उपाय माना गया है। जानिए विशेष विघ्ननाशक शिव मंत्र, जिसमें शिव की अद्भुत महिमा व स्वरूप की वंदना है-
- स्नान के बाद स्वच्छ व सफेद वस्त्र पहन या फिर संकट के वक्त शांत मन से शिवालय या घर पर स्फटिक या धातु से बनी शिवलिंग को खासतौर पर शांति की कामना से दूध व शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- शिव को सफेद चंदन, वस्त्र, अक्षत, बिल्वपत्र, सफेद आंकड़े के फूल व श्रीफल यानी नारियल पंचाक्षरी मंत्र "ॐ नम: शिवाय" बोलते हुए चढाएं व पूजा के बाद नीचे लिखे शिव का श्रद्धा से स्मरण या जप करें-
शिवो गुरु: शिवो देव: शिवो बन्धु: शरीरिणाम्।
शिव आत्मा शिवो जीव: शिवादन्यन्न किञ्चन।।
इस मंत्र में शिव की महिमा कुछ इस तरह उजागर है कि शिव से अलग कुछ भी नहीं है यानी शिव ही गुरु है, शिव देव हैं, शिव सभी प्राणियों के बन्धु हैं, शिव ही आत्मा है और शिव ही जीव हैं। ऐसे महादेव मेरा कल्याण करें।
- इस मंत्र स्मरण व पूजा के बाद दूध की मिठाई का भोग लगा शिव की आरती धूप, दीप व कर्पूर से करें। प्रसाद ग्रहण कर सुकूनभरे जीवन की कामना से सिर पर शिव को अर्पित सफेद चंदन लगाएं।
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