गवान शिव को प्राणनाथ भी पुकारा जाता है। शास्त्रों में बताई शिव की शक्तियों और शिव भक्ति की महिमा पर गौर करें तो यहां प्राण का संबंध मात्र जीवन से ही नहीं है, बल्कि जीवन से जुड़ी हर उन सुख-समृद्धि की कामनाओं से भी है, जो शिव भक्ति से सिद्ध होकर मन और जीवन की हर घड़ी में उत्साह, उमंग और ऊर्जा बनाएं रखती हैं।
जीवन में ऐसे ही रूप में प्राणों का संचार करने वाली शिव भक्ति के लिए की कुछ विशेष घड़ियां मंगलकारी मानी गई है। इनमें अष्टमी, चतुर्दशी, सोमवार आदि प्रमुख हैं। खासतौर पर अष्टमी को शिव पूजा में एक खास पूजा सामग्री का चढ़ावा धन व सौभाग्य की इच्छा जल्द पूरी करने वाला बताया गया है।
अष्टमी तिथि पर शाम के वक्त शिवालय में तांबे के कलश में गंगाजल या पवित्र जल में गंगाजल, अक्षत, सफेद चंदन मिलाकर शिवलिंग पर 'ऊँ नम: शिवाय' यह मंत्र बोलते हुए अर्पित करें।
- जल अर्पण के बाद शिव की अक्षत, रौली, बिल्वपत्र, सफेद वस्त्र, जनेऊ, घी की मिठाई के साथ खासतैर पर शमी पत्र नीचे लिखे मंत्र बोल यश, धन व जाने-अनजाने पापों के नाश की कामना करते हुए चढ़ाएं -
- जल अर्पण के बाद शिव की अक्षत, रौली, बिल्वपत्र, सफेद वस्त्र, जनेऊ, घी की मिठाई के साथ खासतैर पर शमी पत्र नीचे लिखे मंत्र बोल यश, धन व जाने-अनजाने पापों के नाश की कामना करते हुए चढ़ाएं -
अमंगलानां च शमनीं शमनीं दुष्कृतस्य च।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
दु:स्वप्रनाशिनीं धन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
- जल अर्पण, पूजा व शमी पत्र चढ़ावे के बाद शिव की धूप, दीप व कर्पूर आरती कर प्रसाद ग्रहण करें।
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