ऐसी मान्यता
है कि जेष्ठ अमावस्या के दिन वट वृक्ष की परिक्रमा करने पर ब्रह्मा,
विष्णु और महेश
सुहागिनों को सदा सौभाग्यवती रहने का वरदान देते हैं। गांवों-
शहरों में हर कहीं जहां
वट वृक्ष हैं, वहां सुहागिनों का समूह परंपरागत विश्वास से
पूजा करता दिखाई देगा।
अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना के लिए वट सावित्री अमावस्या पर सुहागिनें
वट सावित्री पूजा करेंगी। कई स्थानों पर वट वृक्ष के तले सुहागिनों
का तांता नजर
आएगा।
कैसे
करें वट सावित्री व्रत...
वट
सावित्री व्रत विधि
भारतीय धर्म में वट सावित्री अमावस्या स्त्रियों का महत्वपूर्ण पर्व है। मूलतः यह व्रत-पूजन सौभाग्यवती स्त्रियों का है। फिर भी सभी प्रकार की स्त्रियां (कुमारी, विवाहिता, विधवा, कुपुत्रा, सुपुत्रा आदि) इसे करती हैं।
इस व्रत को करने का विधान ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी से पूर्णिमा तथा अमावस्या तक है। आजकल अमावस्या को ही इस व्रत का नियोजन होता है। इस दिन वट (बड़, बरगद) का पूजन होता है। इस व्रत को स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगलकामना से करती हैं।
पति
को लंबी उम्र देता हैं वट सावित्री अमावस्या का व्रत
कहा जाता है कि वटवृक्ष के नीचे सावित्री ने अपने पति व्रत की प्रभाव से मृत पड़े
सत्यवान को पुनः जीवित किया था। तभी से इस व्रत को वट सावित्री नाम से ही जाना
जाता है। इसमें वटवृक्ष की श्रद्धा भक्ति के साथ पूजा की जाती है।
महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य एवं कल्याण के लिए यह व्रत करती हैं। सौभाग्यवती महिलाएं श्रद्धा के साथ ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी से अमावस्या तक तीन दिनों तक उपवास रखती हैं।
महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य एवं कल्याण के लिए यह व्रत करती हैं। सौभाग्यवती महिलाएं श्रद्धा के साथ ज्येष्ठ कृष्ण त्रयोदशी से अमावस्या तक तीन दिनों तक उपवास रखती हैं।
पति
को लंबी उम्र देता हैं वट सावित्री अमावस्या का व्रत
ज्येष्ठ मास के व्रतों में वट अमावस्या का व्रत बहुत प्रभावी माना जाता है, जिसमें सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु एवं सभी प्रकार की सुख-समृद्धियों की कामना करती हैं।
इस दिन स्त्रियां व्रत रखकर वट वृक्ष के पास पहुंचकर धूप-दीप नैवेद्य से पूजा करती हैं तथा रोली और अक्षत चढ़ाकर वट वृक्ष पर कलावा बांधती हैं। साथ ही हाथ जोड़कर वृक्ष की परिक्रमा लेती हैं। जिससे पति के जीवन में आने वाली अदृश्य बाधाएं दूर होती हैं तथा सुख-समृद्धि के साथ लंबी उम्र प्राप्त होती है।
अखंड
सौभाग्य के लिए करें वट सावित्री अमावस्या व्रत
सौभाग्यवती
महिलाओं की मनोकामना का पर्व
सुहागिन
महिलाओं द्वारा हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखा जाता है।
कहा जाता है कि वट वृक्ष की जड़ों में ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु व डालियों व
पत्तियों में भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है।
इस व्रत में महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं, सती सावित्री की कथा सुनने व वाचन करने से सौभाग्यवति महिलाओं की अखंड सौभाग्य की कामना पूरी होती है।
इस व्रत में महिलाएं वट वृक्ष की पूजा करती हैं, सती सावित्री की कथा सुनने व वाचन करने से सौभाग्यवति महिलाओं की अखंड सौभाग्य की कामना पूरी होती है।
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