ऊजड़ खेड़ा फिर बसै, निरधनियां धन होय।
जोबन गयो न बावड़ै मतना द्यो थे खोय।
कागा कुत्ता कुमाणसा, तीन्यूं एक निकास।
ज्यां ज्यां सेर्यां नीसरै, त्यां त्यां करे बिनास।
किरपण कै दालद नही, ना सूरां कै सीस।
दातारां कै धन नहीं, ना कायर कै रीस।
गैलो भलो न कोस को, बेटी भली न एक।
मांगत भली न बाप की, साहेब राखै टेक।
घर में सालो, दीवाल में आलो,आज नहीं तो काल दिवालो।
चालणी को चाम, घोडै की लगाम,
संजोगी को जाम, कदे न आवै काम।
जननी जमे तो दोय जण, के दाता के सूर,
नातर रहजे बांझड़ी, मती गंवावे नूर।
जाट कहै सुम जाटणी इणी गांव में रैणो
ऊंट बिलाई लेगई हांजी हांजी कहणों।
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