संकल्प, इच्छाशक्ति, धैर्य, बुद्धि, विवेक, दृढ़ता, शांति व अच्छा आचरण ही जीवन में जिम्मेदारियों को उठाने व सफलतापूर्वक पूरा करने की राह आसान बनाते हैं। धर्मशास्त्रों के मुताबिक हिन्दू धर्म के पंचदेवों में श्रीगणेश की भक्ति तय लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पाने की बुद्धि व विवेक देती है।
खास तौर पर बुधवार को श्रीगणेश की उपासना घर-परिवार के साथ व्यक्तिगत जीवन में भी ढेरों सुख व सफलताएं तय करती है। इसके लिए विशेष गणेश मंत्रों के साथ पूजा का महत्व बताया गया है। जानिए, आसान पूजा विधि के साथ संकटमोचन करने वाले खास मंत्र उपाय-
- बुधवार को सुबह या शाम के वक्त स्नान के बाद पीले वस्त्र पहन देवालय में श्रीगणेश को पवित्र जल से स्नान कराकर सिंदूर, पीला चंदन, अक्षत, पीले फूल, जनेऊ व दूर्वा चढ़ाएं। श्रीगणेश को मोदक का भी भोग कार्यसिद्धि की कामनाओं के साथ लगाएं।
- धूप व दीप जलाकर इस श्रीगणेश मंत्र का स्मरण कर आरती करें व सुख-सफलता की कामना के साथ प्रसाद बांटे व ग्रहण करें-
निराकृते नित्यनिरस्तमाय परात्पर ब्रह्ममयस्वरूप।
क्षराक्षरातीतगुणैर्विहीन दीनानुकस्मिन् भगवन्नमस्ते।
निरामयाखिलकामपूर निरञ्जनायाखिलदैत्यदारिन्।
नित्याय सत्याय परोपकारिन् समाय सर्वत्र नमो नमस्ते।।
हिन्दू धर्म में शिव पुत्र भगवान श्रीगणेश से जुड़ी गहरी आस्था है कि उनका नाम लेने से ही किसी भी काम की सफलता तय है। श्रीगणेश सुखकर्ता व दु:खहर्ता यानी सुख देने व दु:खों को दूर करने वाले देवता माने जाते हैं। इसलिए भगवान गणेश हर काल में ही शुभ और मनचाहे फल देकर संकटमोचक देवता के रूप में भी पूजनीय हैं।
इसी कड़ी में शास्त्रों में हर बुधवार या चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश के 12 संकटनाशक नामों के ध्यान का बड़ा महत्व बताया गया है। इन बारह नामों का सुबह, दोपहर और शाम के अलावा हर रोज भी छ: माह तक बोलने से विद्या, धन, संतान और स्वास्थ्य के इच्छुक हर भक्त की हर इच्छा पूरी हो जाती है। साथ ही जीवन में आने वाली अड़चनों और संकटों से छुटकारा मिलता है। भगवान गणेश के बारह नामों का यह पाठ संकटनाशक स्तोत्र के नाम से भी जाना जाता है।
इस मंत्र स्तोत्र के चमत्कारी 12 श्रीगणेश नाम स्मरण से पहले यथासंभव व यथाशक्ति भगवान गणेश की पूजा करें-
प्रणम्यं शिरसां देवं गौरीपुत्र विनायकम्।
भक्तावासं स्मरेन्नित्मायु: कामार्थसिद्धये।।
प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदतं द्वितीयकंम्।
तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम्।।
लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजं च धूम्रवर्णं तथाष्टमम्।।
नवमं भालचद्रं च दशमं तु विनायकम।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननमं।।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यं पठेन्नर:।
न च विघ्रभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो।।
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनं।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम।।
जपेद्गणपतिस्तोत्रम षड्भिर्मासै: फलं लभेत।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय:।।
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्य लिखित्वा य: समर्पयेत।
तस्य विद्याभवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत:।।
तस्य विद्याभवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत:।।
दैनिक जीवन में मानसिक जद्दोजहद से राहत पाने के लिए व्यावहारिक रूप से संयम व विवेक से उलझनों को सुलझाना एक उपाय है। वहीं, धार्मिक उपायो में भगवान गणेश की उपासना भी मानसिक ऊर्जा और शक्ति देने वाली मानी गई है।
भगवान गणेश की उपासना में भी कुछ विशेष और सरल उपाय मन ही नहीं घर-परिवार से अशांति को दूर रखने वाले माने गए हैं। इन उपायों में ही एक है- भगवान गणेश को शमी पत्र चढ़ाना। शमी पत्र गणेशजी को दूर्वा की तरह ही अति प्रिय मानी गई है। यह वह्निवृक्ष या पत्र नाम से भी जाना जाता है। इसमें शिव का वास भी माना गया है, जो श्री गणेश के पिता हैं और मानसिक क्लेशों से मुक्ति देने वाले देव हैं।
भगवान गणेश की उपासना में भी कुछ विशेष और सरल उपाय मन ही नहीं घर-परिवार से अशांति को दूर रखने वाले माने गए हैं। इन उपायों में ही एक है- भगवान गणेश को शमी पत्र चढ़ाना। शमी पत्र गणेशजी को दूर्वा की तरह ही अति प्रिय मानी गई है। यह वह्निवृक्ष या पत्र नाम से भी जाना जाता है। इसमें शिव का वास भी माना गया है, जो श्री गणेश के पिता हैं और मानसिक क्लेशों से मुक्ति देने वाले देव हैं।
यही वजह है कि शमी पत्र का चढ़ावा गणेशजी की प्रसन्नता से बुद्धि को पवित्र कर मानसिक बल देने वाला माना गया है। अगर आप भी मन और परिवार को शांत और सुखी रखना चाहते हैं तो चतुर्थी या बुधवार को नीचे बताए विशेष मंत्र से श्रीगणेश को शमी पत्र चढ़ाएं-
- सुबह स्नान के बाद गणेशजी का ध्यान और पूजा करें। पूजा में पारंपरिक रूप से गंध, अक्षत, फूल, सिंदूर के अलावा विशेष तौर पर नीचे लिखे मंत्र के साथ शमी पत्र अर्पित करने का उपाय करें -
त्वत्प्रियाणि सुपुष्पाणि कोमलानि शुभानि वै।
शमी दलानि हेरम्ब गृहाण गणनायक।।
- शमी पत्रों के गणेश को अर्पण के बाद यथाशक्ति नैवेद्य अर्पित कर आरती करें और मंगलकारी शमी पत्रों की भांति जीवन में शांति और मंगल की कामना करें।
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