Thursday, 8 May 2014

रोज इन 2 उपायों से घर-परिवार में बढ़ती है खुशहाली व दौलत

        रोज इन 2 उपायों से घर-परिवार में बढ़ती है खुशहाली व दौलत

धर्मग्रंथों के मुताबिक तुलसी लक्ष्मी स्वरूपा भगवान विष्णु को प्रिय बताई गई हैं। इसलिए भी हिन्दू देव पूजा परंपराओं में तुलसी का पौधा देवीय स्वरूप में पूजनीय है। लक्ष्मी स्वरूपा तुलसी और भगवान विष्णु स्वरूप शालिग्राम के विवाह की धार्मिक परंपरा के जरिए भी तमाम दोषों दरिद्रता को दूर कर खुशहाल बनने के उपाय के साथ सबक भी जुड़ा है।
धार्मिक नजरिए से घर में तुलसी का पौधा और उसकी उपासना कलह जाने-अनजाने पापों को मिटाने वाली मानी गई है। व्यावहारिक तौर पर भी तुलसी को खान-पान में शामिल करना रोगनाशक और ऊर्जा देने वाला माना गया है।

इसी तरह शास्त्रों में तुलसी को जगतजननी मां गायत्री का स्वरूप भी माना गया है। गायत्री स्वरूप का ध्यान कर तुलसी पूजा मन या घर-परिवार को खुशहाल बनाने वाली मानी गई है। खास तौर पर वैशाख महीने (16 अप्रैल से शुरू) में सुबह तुलसी गायत्री मंत्र का पाठ मनोरथ कार्यसिद्धि में असरदार माना गया है। जानिए यह तुलसी गायत्री मंत्र पूजा की आसान विधि-
 
- सुबह स्नान के बाद घर के आंगन या देवालय में लगे तुलसी के पौधे में गंगाजल, गंध, फूल, लाल वस्त्र चढ़ाकर पूजा करें। फल का भोग लगाएं। धूप दीप जलाकर उसके नजदीक बैठकर तुलसी की ही माला से तुलसी गायत्री मंत्र का श्रद्धा से सुख की कामना से कम से कम 108 बार स्मरण कर अंत में तुलसी की पूजा करें-
 
 श्री तुलस्यै विद्महे। 
विष्णु प्रियायै धीमहि। 
तन्नो वृन्दा प्रचोदयात्।।
 
- पूजा मंत्र जप में हुई त्रुटि की प्रार्थना आरती के बाद कर फल का प्रसाद ग्रहण करें। 

     
                       रोज इन 2 उपायों से घर-परिवार में बढ़ती है खुशहाली व दौलत

शास्त्रों में लिखा है कि जहां भगवान विष्णु कृपा होती है, वहां मां लक्ष्मी भी वास करने लगती है। इसलिए खास तौर पर भगवान विष्णु स्वरूप श्रीशालिग्राम पूजा सुख-समृद्धि, शांति लक्ष्मी कृपा देने वाली होती है। इस धार्मिक दर्शन उपाय में एक जीवन सूत्र यह भी मिलता है कि घर में शांति कायम रखने और कलह करने से भरपूर सुख-वैभव मिलता है।
 
घर-परिवार में ऐसी ही खुशहाली के लिए वर्तमान में जारी वैशाख माह (16 अप्रैल से शुरू) में धन कामना पूरी करने के लिए शाम के वक्त भगवान विष्णु का रूप शालिग्राम शिला की पूजा का विशेष उपाय अपनाएं विष्णु मंत्र का ध्यान करें-
 
- शाम को स्नान कर विष्णु रूप शालिग्राम शिला को पहले पंचामृत यानी दूध, दही, शहद, घी और शक्कर के मिश्रण से स्नान कराकर विशेष रूप से केसर मिले चन्दन जल से स्नान कराएं।
 
- स्नान के बाद भगवान शालिग्राम की गंध, सफेद तिल, फूल, वस्त्र, तुलसी के पत्ते, दूर्वा, इत्र आदि लगाकर पूजा करें। नीचे लिखे भगवान विष्णु शालग्राम के विशेष मंत्र का स्मरण करें। बाद भगवान शालिग्राम की आरती धूप और घी के दीप जलाकर करें। अंत में शालिग्राम को स्नान कराएं चरणामृत का सेवन जरूर करें। इससे केवल तीर्थजल के समान पुण्य मिलता है बल्कि सुख-समृद्धि भी आती है-
 
प्रणवेन लक्ष्यो वै गायत्री गदाधर: 
शालग्रामनिवासी शालग्रामस्तथैव च।। 
जलशायी योगशायी शेषशायी कुशेशय: 
महीभर्ता कार्यं कारणं पृथिवीधर:।।

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